उत्तरप्रदेश: (Uttar Pradesh) डीजीपी डीएस चौहान ने महिलाओं, बुजुर्गों व नाबालिगों के लिए बड़ी पहल की है। उन्होंने निर्देश देते हुए कहा है कि जब तक किसी मामले में पूरी जानकारी और साक्ष्य न हों तो संदेह के आधार पर गिरफ्तारी नहीं करने के आदेश दिए हैं। इन निर्देशों का पालन नहीं होने पर सख्त कार्रवाई की बात कही है। अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 160 के तहत महिलाओं को पुलिस स्टेशन में पूछताछ के लिए नहीं बुलाया जा सकता।
आपको बता दें कि दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने नियम जारी करते हुए कहा कि सात साल से कम सजा वाले मामलों में होने वाली गिरफ्तारी, किसी मामलें में पूछताछ को लेकर नोटिस सभी राज्यों की पुलिस को निर्देश जारी करने और इसका अनिवार्य रूप से पालन कराने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच में यदि कोई गलत अपराधी प्रकट नहीं होता है तो ऐसे में उसे मजिस्ट्रेट के न्यायालय में हाजिर होने के लिए नहीं कहा जाएगा। इसके मुताबिक महिलाओं, नाबालिगों, 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों और मानसिक या शारीरिक रूप से निशक्त व्यक्ति को उसके निवास स्थान के अलावा कहीं और पूछताछ के लिए नहीं बुलाया जाएगा।
महिलाओं से सवाल जबाव के लिए थाने पर नहीं बुलाने की बात कही जा रही है। सवाल जबाव तथा पूछताछ उसी स्थान पर करनी होगी जहां महिलाएं रहती हैं। वहीं पूछताछ के दौरान परिजनों और महिला कांस्टेबल की उपस्थिति अनिवार्य मानी जाएगी। वहीं बच्चों, बुजुर्गों और दिव्यांगों से उसके परिवार के सदस्यों, संरक्षकों अथवा किशोर कल्याण अधिकारियोंं की उपस्थिति में ही पूछताछ की जा सकेगी।