India News(इंडिया न्यूज़), Mathura: काशी की तर्ज पर मथुरा वृंदावन कॉरिडोर का निर्माण किया जाना है। इसको लेकर दाखिल एक याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सेवायतों का कहना है कि यूपी सरकार उन्हें 10 एकड़ जमीन उपलब्ध कराए ताकि वह नया मंदिर बनाकर बांके बिहारी की शिफ्टिंग कर लें।
इलाहाबाद हाई कोर्ट में मथुरा वृंदावन कॉरिडोर निर्माण मामले में मंगलवार को तब नया मोड़ आया जब सेवायतों की ओर से कहा गया कि सरकार उन्हें भूमि उपलब्ध करा दे तो वे बांके बिहारीजी के लिए नया मंदिर बनवाकर शिफ्ट कर लेंगे। हालांकि, यूपी सरकार ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि किसी भी हालत में मंदिर को शिफ्ट नहीं किया जा सकता है। सरकार ने इस प्रस्ताव का विरोध कर कहा कि यह प्राइवेट मंदिर नहीं है।
यूपी सरकार ने इस प्रस्ताव को मना कर दिया है। कोर्ट अब इस मामले में बुधवार को सुनवाई करेगी। अनंत शर्मा की ओर से दाखिल अर्जी पर चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। इसके पहले सुनवाई शुरू होते ही याची अधिवक्ता ने सिविल कोर्ट द्वारा बांके बिहारी मंदिर को लेकर पूरी डिग्री को वापस लेने की मांग उठाई गई।
कहा गया कि इसे वापस लेना चाहिए। जबकि, सेवायतों के अधिवक़्ता संकल्प गोस्वामी ने इसका विरोध किया गया। कहा कि उनका प्रस्ताव है कि यूपी सरकार उन्हें 10 एकड़ जमीन उपलब्ध कराए। वह बांके बिहारी जी का मंदिर शिफ्ट कर लेंगे। क्योंकि, मंदिर उनका है, वे उसके मालिक हैं। इससे कुंज गलियों का स्वरूप भी नष्ट नहीं होगा। सब कुछ सुरक्षित भी रहेगा।
सेवायतों के इस प्रस्ताव पर कोर्ट ने यूपी सरकार का पक्ष जानना चाहा तो सरकार ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। सरकारी अधिवक़्ता कुणाल रवि ने कहा कि बांके बिहारी जी का मंदिर जहां है, वहीं रहेगा। ऐसा नहीं किया जा सकता है कि मंदिर को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए। फिलहाल कोर्ट ने समयाभाव की वजह से सुनवाई को एक दिन के लिए टाल दिया। अब बुधवार को बहस होगी।
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