Sultanpur crime : सरकारी चिकित्सालयों में फ्री इलाज का दावा हुआ तार-तार। एक रुपये की पर्ची, चिकित्सक लिख रहे बाहर से दवा। गरीबों की उम्मीद पर भारी है नि:शुल्क इलाज का दावा।
सुल्तानपुर मेडिकल कॉलेज में सरकारी पर्चे से इतर छोटी पर्ची पर बाहर से लिखी जाती दवा है। डिप्टी सीएम व सूबे के स्वास्थ्य मंत्री के आदेश को कुछ सरकारी चिकित्सक ठेंगा दिखाते है।
सुल्तानपुर के स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय एवं चिकित्सालय (सुल्तानपुर मेडिकल कॉलेज) में सरकार के निःशुल्क इलाज का दावा तार-तार हो गया है। एक रुपये की पर्ची पर जहां अस्पताल की दो तीन दवा लिखी जाती है ।
वहीं चिकित्सक दो से तीन सौ रुपये तक की दवा अलग से पर्ची पर लिख देते हैं। जो गरीबों की उम्मीद पर भारी है। मरीजों के तीमारदार कहते हैं कि चिकित्सक जो दवा लिखे हैं उसे खरीदना मजबूरी है। यानी नि:शुल्क इलाज का सरकारी दावा केवल कागजों में दम तोड़ रहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने मरीजों की सहूलियत के लिए यह निर्देश जारी किया कि सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों के लिए बाहर की दवाएं न लिखी जाएं।
डिप्टी सीएम के इस निर्देश का ग्राउंड जीरो पर कितना असर पड़ा है? इसकी हकीकत जानने के लिए ‘INDIA न्यूज़’ की टीम ने उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर मेडिकल कॉलेज में इसकी पड़ताल की।
ग्राउंड जीरो पर इसकी हकीकत यूँ नजर आई… सुल्तानपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज कराने आए मरीज अगई ग्राम सभा के निवासी प्रविन्द कुमार दूबे,कटका निवासिनी संगीता मिश्रा,शहर के पलटूपुरवा के निवासी छोट्टन,विवेकनगर निवासी सत्यनारायण ने दिखाई सरकारी चिकित्सकों द्वारा बाहर से लिखी गई दवा की पर्ची।
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर धड़ल्ले से सरकारी पर्चे पर प्राइवेट दवाएं लिख रहे हैं। इसके पीछे डाक्टर अस्पताल में दवाएं न होने का तर्क दे रहे हैं।
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि कमीशन खोरी के चलते बाहर की दवाएं लिखी जा रही हैं। वहीं सरकार का दावा है कि सभी सरकारी अस्पतालों में जीवन रक्षक दवाएं निशुल्क यानी कि फ्री हैं।
ऐसे में तर्कों के लिहाज से कौन सच है और कौन झूठ, अपने आप में बड़ा सवाल है?इस बाबत जब सुल्तानपुर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ सलिल श्रीवास्तव से बार करने का प्रयास किया गया तो मालूम हुआ कि वह किसी कार्यवश बाहर गए हैं।