Up News: उत्तर प्रदेश के आगरा में जल निगम ने भूजल की गुणवत्ता सही करने की लिए 12 साल में 30 हजार करोड़ रुपये पानी में लुढ़ा दिया। लेकिन आगरा के पानी में खास सुधार नहीं हुआ है। आपको बता दे आगरा में कुल आठ गांवों में फ्लोराइडयुक्त पानी की घूंट से लगभग 1000 लोग दिव्यांग हो गए है और करीब 10 हजार से अधिक लोग बीमार हो गए है।
इस ख़राब भूजल के वजह से 900 से अधिक गांवों में लोग पानी को लेकर परेशान है। पट्टी पचगईं निवासी गिरीश चंद्र शर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की जिसके बाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के प्रमुख सचिव ग्राम्य ने विकास व ग्रामीण जलापूर्ति को छह सप्ताह में गुणवत्ता प्रभावित गांवों की जांच रिपोर्ट के लिए आदेश दिया। याचिकाकर्ता ने कहा कि जिले के किसी गांव में जमीं का पानी पीने लायक नहीं है।
आपको बता दे पट्टी पचगईं, पचगईं, खेड़ा, देवरी, गढ़ी देवरी, नगला, रोहता, रोहता की गढ़ी, अस्तल और नगला भर्ती क्षेत्र में करीब 25 हजार लोग रहते है। फ्लोराइडयुक्त पानी पिने की वजह से इन लोगो की हाथ, पैर की हड्डियां टेढ़ी-मेढ़ी हो गयी है।
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फ्लोराइडयुक्त पानी पिने से करीब 10 हजार लोगो का स्वास्थ्य ख़राब हुआ है। इन आठ गांवों में 10 बार टीटीएसपी, पाइपलाइन और ओवरहेड योजनाएं बानी लेकिन फेल हो गया।
केंद्र सरकार ने उस इलाके में जांच कराई तो करीब 900 गांव गुणवत्ता प्रभावित थे। जिसकी वजह से 2005 से 2017 तक पानी के नाम पर धन का दोहन किया गया और फिर सरकार के तरफ से 72 हजार हैंडपंप लगाए गए जो एक साल भी उपयोग में नहीं आये।
फिर सरकार ने 6350 भूजल आधारित टीटीएसपी टंकियां लगवाई, जिनमें से अब मात्र 150 टीटीएसपी चालू है। 500 से अधिक ओवरहेड टैंक व पाइपलाइन बिछाई गईं जिसकी लागत 2 से 5 करोड़ रुपये थी। पिछले 12 साल में करीब 30 हजार करोड़ रुपये पेयजल योजनाओं पर खर्च हुआ है। जिसके बाद भी 30 लाख से अधिक लोग खारा पानी या फ्लोराइड युक्त पानी पर जिन्दा है।
22 साल से ग्रामीण क्षेत्रों में फ्लोराइडयुक्त भूजल को लेकर लड़ाई लड़ी जा रही है। साल 2017 में इन ग्रामीण क्षेत्रों के लोगो ने आगरा से दिल्ली तक पैदल मार्च निकाला। इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से जांच के निर्देश दिय गए।
जल निगम के लोगो ने फिर यहां गेम खेला और कहा की ओवरहेड, टीटीएसपी व हैंडपंप का प्रधानों ने रखरखाव नहीं किया जिसकी वजह से यह योजना बंद कर दिया गया।
फ़िलहाल, मुख्य विकास अधिकारी ए मनिकंडन ने कहा कि प्रमुख सचिव व ग्रामीण आपूर्ति को उच्च न्यायालय ने जलनिगम के अधिकारियों को निर्देशित दिया की जांच करा के एक महीने में जांच रिपोर्ट जमा कर दे।
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