India News(इंडिया न्यूज़), Winter Tips: जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती है, बच्चों में खांसी-जुकाम की समस्या बढ़ जाती है। खासकर छोटे बच्चों को इस मौसम में ठंड से बचाना एक बड़ा काम है। कई बार दवाएं भी काम नहीं करतीं और मांओं के मन में अक्सर यह सवाल आता है कि सर्दी-खांसी में कितनी दवा दें। बेहतर होगा कि दवा की जरूरत न पड़े और बच्चे सर्दी से बचे रहें। इलाज से बेहतर रोकथाम है। आप ये कुछ घरेलू उपाय आजमा सकते हैं। इन्हें अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें और अगर आपके बच्चे को कोई विशेष समस्या है तो इन्हें न आजमाएं।
ठंड के मौसम में बादाम बच्चों के लिए बहुत अच्छा काम करता है। रात को बादाम भिगोकर रखें और सुबह उन्हें पत्थर के वजन पर पीसकर बच्चे को खिलाएं। इससे भी अधिक लाभ मिलता है। इसमें बच्चे की उम्र के हिसाब से जायफल की दो-तीन रत्ती भी घिस सकती हैं। कद्दूकस किया हुआ बादाम बहुत फायदेमंद होता है। आप इसे केसर वाले दूध में उबालकर भी दे सकते हैं।
सर्दियों में आप बच्चों को हल्दी, दूध और केसर मिलाकर दे सकते हैं। यह शरीर को गर्म रखता है। अगर हल्दी को दूध में ठीक से पकाया जाए तो यह कड़वी नहीं होती और बच्चे इसे आसानी से पी लेते हैं। इसमें केसर के कुछ रेशे डालें और गुड़ मिलाकर बच्चों को खिलाएं। अगर आप हल्दी वाला दूध नहीं लेते हैं तो केसर वाला दूध दें। इसमें एक चम्मच घी मिला दें तो बच्चों को कब्ज से राहत मिलेगी।
लगभग एक चम्मच अजवाइन और तीन-चार लहसुन की कलियां काट कर तवे पर भून लें। इसे धीमी आंच पर भून लें और जब यह थोड़ा ठंडा हो जाए तो इसे एक सूती कपड़े में डालकर पोटली बना लें। सोते समय इसे बच्चे के कंबल में या उसकी बांह के आसपास रखें। इससे सर्दी से राहत मिलती है और सर्दी व जकड़न में आराम मिलता है।
एक पैन में शुद्ध सरसों का तेल डालकर उबाल लें और उसमें एक चम्मच अजवाइन, एक चम्मच मेथी, थोड़ी सी हींग और कुछ लहसुन की कलियां भून लें। इस तेल को छानकर एक शीशी में भर लें। इसे बच्चे के तलवों और हाथों की हथेलियों पर भी मलें। इससे ठंड से बचाव होता है। ऐसा सोने से पहले करें। एक तौल पर सेंधा नमक लें और उसमें देसी घी डालकर तब तक मलें जब तक वह बारीक क्रीम जैसा पेस्ट न बन जाए। इसे बच्चे की छाती पर लगाने से कफ ढीला हो जाता है।
सर्दियों में बच्चों को धूप में जरूर बैठाएं। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है। सूरज की रोशनी के संपर्क में आना एक प्राकृतिक इलाज है, बस यह सुनिश्चित करें कि उस समय हवा बहुत तेज़ न हो। अगर ऐसा हो तो इन्हें खुले में न छोड़ें, हवा ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी।
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