(World famous Lathmar Holi played in Barsana, lakhs of devotees reached) राधा रानी की जन्म स्थली बरसाने में विश्व प्रसिद्ध लठमार होली का आयोजन किया गया। इस आयोजन में लाखों की संख्या में श्रद्धालु बरसाना पहुंचे। दरअसल बरसाना की लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध होली हैं जो कि बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाई जाती हैं। सोलह श्रंगार किए राधारानी रुपी गोपियो ने नंदगाँव के कृष्ण रुपी हुरियारों पर जमकर लाठियां बरसाई।
अबीर गुलाल तथा लाठियों से खेली जाने वाली इस लट्ठमार होली का श्रद्धालुओ ने राधा रानी के धाम बरसाने पहुंचकर जमकर आनंद लिया। ऐसा माना जाता है कि देव लोक से देवता भी इस होली को देखने के लिए किसी न किसी रूप में बरसाना आतें हैं। देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु राधा रानी जी के धाम बरसाने की कुन्ज गलियो और रंगीली चोक का अद्भुत दृश्य देखने के लिए पहुंचे। जहां रंगीली चौक पर लठमार मार होली का अनूठा नजारा देखने को मिला जोकि अत्यन्त आलौकिक था।
हुरियारिनें सुबह से पंरपरागत लहंगा-चुनरी पहनकर तैयारियों में जुटी रहीं। दोपहर करीब दो बजे कान्हा की प्रतीक ध्वजा लिए नंदगांव से हुरियारों के टोल आने शुरू हो गए। भांग की ठंडाई, गुलाब जल और मेवा घोल कर हुरियारों को पिलाई। यहां हुरियारों ने अपने-अपने सिरों पर पाग बांधी। जो बच्चे पहली बार होली खेलने आए, उनके पिता, दादा जब पाग बांध रहे थे लग रहा था जैसे अगली पीढ़ी को होली खेलने के लिए उत्तराधिकार दिया जा रहा हो। पाग बांध हुरियारे लाडलीजी मंदिर पहुंचे।
बरसाना में फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी पर नंदगांव के लोग होली खेलने के लिए आते है। महिलाएं इनसे लट्ठमार होली खेलती हैं और दशमी पर रंगों से होली खेली जाती है। ऐसा माना जाता है कि श्रीकृष्ण अपने सखाओं के साथ बरसाना होली खेलने आते थे। श्रीकृष्ण और उनके साथियों पर राधा होली की मस्ती में डंडे बरसाती थीं। तभी से बरसाना में लट्ठमार होली की परंपरा चली आ रही है।
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