India News ( इंडिया न्यूज ) Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में अभी तक बीते 9 दिनों से 41 मजदूर अंदर फंसे हुए हैं। जिनको सुरक्षित बाहर निकालने के लिए सरकार लगातार अपनी कोशिश कर रही है। इसी बीच 20 नवंबर को सोमवार के दिन देर शाम एक पाइप से सरकार ने उनको पहली बार खाना पहुंचाने का प्रयास किया है जिसमें उन्होने सफलता पाई है। इसके साथ ही सरकार ने इंडोस्कोपिक कैमरे के जरिए मजदूरों की हालत भी जानने की कोशिश की है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि आखिर इंडोस्कोपिक कैमरा क्या होता है।
1. इंडोस्कोपिक कैमरे का यूज इंसान के जटिल और सूक्ष्म रोगों या अंगो की जांच करने में किया जाता है। बता दें कि एंडोस्कोपिक कैमरा तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण उपकरणों में से एक होता है
2. इसके साथ ही इसका इस्तेमालडॉक्टर बिमारियों के उचित निदान और अच्छे उपचार के लिए शरीर के अंदर के अंगों, जोड़ों और गुहाओं को देखने के लिए इसका उपयोग करते हैं।
3. बता दें कि सबसे आधुनिक एंडोस्कोपिक कैमरा ‘चिप-ऑन-टिप’ तकनीक का इस्तेमाल करता है जहां तस्वीरों को डिवाइस के अंतिम भाग से जुड़े एक सॉफ्ट पैकेज के जरिए कैद कर लिया जाता है।
4. इसके साथ ही इस कैमरे के ठीक ऊपर एक एलईडी लाइट लगी होती है जिससे कि यह उस जगह भी पिक्चर क्लिक कर सकता है जहां पर अंधेरा हो।
5. बता दें कि उत्तराखंड में बन रही सुरंग में अधिकारियों ने एक फ्लेक्सी कैमरे का इस्तेमाल किया था जिससे कि उसमें लगा वायर पाइप के साथ मुड़ सकने में सक्षम था और वीडियो रिकॉर्ड कर सकने में भी सक्षम था.
6. अधिकारियों ने इसके छोटे आकार और आकार के कारण एंडोस्कोपिक कैमरे का इस्तेमाल किया, जिससे कि उनको एक छोटे छेद की पाइपलाइन में कैमरा भेज सकने में सफलता मिली है।
जानकारी के मुताबिक सिलक्यारा में फंसे मजदूरों को खिचड़ी भेजने के बाद उनका वीडियो भी रिकॉर्ड किया गया है। जिसके मुताबिक 41 श्रमिकों तक छह इंच की पाइपलाइन के जरिए खिचड़ी भेजने के कुछ घंटों बाद बचावकर्मियों ने मंगलवार तड़के उन तक एक कैमरा भेजा और उनके सुरक्षित होने का पहला वीडियो भी जारी किया।
बचाव अभियान में शामिल सुरक्षा कर्मचारी निपू कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि मजदूरों का लगातार जायजा लेने के लिए पाइप लाइन में एक वॉकी-टॉकी और दो चार्जर भी भेजे गए हैं। श्रमिकों को निकालने के लिए कई दिशाओं से किए जा रहे प्रयासों के तहत भारतीय वायुसेना ने एक सी-17 और दो सी-130जे सुपर हरक्यूलिस परिवहन विमान से 36 टन वजनी मशीनें पहुंचा दी हैं। इसी दौरान सुत्रों के हवाले से येभी खबर आई है कि सिलक्यारा सुरंग की ओर से अमेरिकन ऑगर मशीन से ‘निकलने का रास्ता’ बनाने का काम फिर शुरू होने वाला है। साथ ही दिल्ली से आई इंजीयनियरिंग टीम ने किसी कठोर सतह से टकराने के बाद रुकी इस मशीन के कलपुर्जे भी बदल दिए हैं.
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