Tuesday, July 9, 2024
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वृंदावन में जगतगुरू श्रीकृष्ण सीख रहे ककहरा, नन्हें-मुन्नें बच्चों के साथ बैंच पर विराचमान

द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से हर कोई भालीभांति जानता है। उन्होंने महाभारत में युद्ध से पहले अर्जुन को ज्ञान दिया था। इससे उनका नाम जगतगुरु पड़ा था। वहीं, कलयुग में भगवान श्रीकृष्ण का एक भक्त ऐसा भी है जो उनसे इतना प्रेम करता है कि वह उन्हें बेटे की तरह मानता है। लाख प्रयास के प्रयास के बाद उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण का संदीपन मुनि के स्कूल में दाखिला करवा दिया है। यहां भगवान बैंच पर बैठकर ककहरा सीख रहे हैं।

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इंडिया न्यूज, वृंदावन : 

दिल्ली के रहने वाले रामगोपाल (65) बच्चों की शादी करने के बाद सात साल पहले पत्नी के साथ वृंदावन आकर बस गए। वह बाल गोपाल को दूसरा बेटा मानते हैं। बाल गोपाल को वह हर पल अपने साथ रखते हैं। दूसरे बच्चों को देख उनके मन में बाल गोपाल को पढ़ाने का विचार आया। भगवान को तैयार करके स्कूल में पढ़ाने के लिए रामगोपाल रोज ले जाते हैं, लंच और पानी की बोतल भी साथ ले जाते हैं। उनका भगवान के प्रति यह प्रेम देख हर ओर चर्चा का विषय बना है।

विदेश महिला भक्त ने स्कूल ले जाने की दी सलाह

कक्षा में बच्चों के साथ बैठे बाल गोपाल।

रामगोपाल एक दिन अपने बाल गोपाल के साथ वृंदावन के इस्कॉन मंदिर गए थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात विदेशी कृष्ण भक्त महिला से हुई। रामगोपाल को उदास देख उस महिला ने उनके दुखी होने का कारण पूछा। इस पर उन्होंने बताया कि वह दूसरे बच्चों की तरह अपने बाल गोपाल को स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं। रामगोपाल का भाव देखकर महिला ने उनको बताया कि वह अपने बाल गोपाल को संदीपन मुनि के स्कूल में पढ़ाएं।

स्कूल प्रिंसिपल ने मांगे अभिलेख

बच्चों के साथ बाल गोपाल को भी पढ़ाती शिक्षिका।

रामगोपाल अगले दिन अपने बाल गोपाल को लेकर वृंदावन के चैतन्य विहार इलाके में स्थित संदीपन मुनि स्कूल पहुंच गए। स्कूल की प्रिंसिपल दीपिका शर्मा से रामगोपाल ने जब प्रिंसिपल को कहा कि वह भगवान को पढ़ाना चाहते हैं, तो दीपिका हैरान हो गईं। मगर, रामगोपाल जिद करने लगे। इसके बाद प्रिंसिपल ने कहा कि वह अपने बाल गोपाल का आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र लेकर आने को कहा। यह सुनकर रामगोपाल परेशान हो गए। तभी स्कूल के संस्थापक और इस्कॉन भक्त रूपा रघुनाथ दास वहां आ गए।

स्कूल संस्थापक ने भक्त की सुनी पुकार

रूपा रघुनाथ दास ने जब रामगोपाल को परेशान देखा। उन्होंने कहा कि एडमिशन तो नहीं कर सकते, मगर आप बाल गोपाल को पढ़ने के लिए भेजिए। इसके बाद रामगोपाल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। स्कूल में पहुंचने के बाद बाल गोपाल का नामकरण भी हो गया। यहां बाल गोपाल का नाम रखा गया मुच्चउ गोपाल। भगवान का नया नामकरण होने के बाद मुच्चउ गोपाल बाकी बच्चों की तरह कक्षा में बैठने लगे। शिक्षिका बच्चों के साथ-साथ मुच्चउ गोपाल को भी पढ़ाने लगी।

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रामगोपाल स्कूल के बाहर करते भजन

स्कूल परिसर में भजन करते बाल गोपाल के भक्त रामगोपाल।

शिक्षिका बाल गोपाल को भी क ख ग, ए बी सी डी और 1, 2, 3, 4 के अलावा अन्य विषय पढ़ाती हैं। दूसरे बच्चों की तरह रामगोपाल अपने भगवान मुच्चउ गोपाल को सुबह तैयार करते हैं। इसके बाद स्कूल का ई-रिक्शा आता है और फिर रामगोपाल भगवान को लेकर स्कूल पहुंच जाते हैं। जब भगवान की कक्षा में होते हैं तो रामगोपाल बाहर बैठकर भजन करते हैं।

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Ajay Dubey
Ajay Dubey
India News Senior Sub Editor. Danik jagran & Amarujala as a City & Crime Reporter 15 Years.
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