(Mathura colored in colors of Holi, celebration of “Lathmar Holi” celebrated in Nandgaon area): ऐसे कैसे संभव है की होली का पर्व हो और ‘बरसाना की होली’ की जिक्र ना हो। अगर ऐसा होता है तो अधूरा है होली का हर फाग।
जिसने मथुरा (Mathura) की लठ्ठमार होली नहीं खेली तो उसने कुछ नहीं खेला। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण की प्रिय गोपी राधा ‘बरसाना’ की ही रहने वाली थीं।
- जानिए किस्से हुआ, राधा का विवाह
- बरसाना राधा की जन्मस्थली
- कैसे मानते है, लठ्ठमार होली
- कमर में फेंटा बांध मनता है “लठ्ठमार होली”
जानिए किस्से हुआ, राधा का विवाह
पद्म पुराण में बताया गया है कि राधा वृषभानु नामक गोप की पुत्री थीं। वृषभानु वैश्य जाति से आते थे। वही, ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक राधा कृष्ण की मित्र थीं और उनका विवाह रापाण के साथ हुआ था। मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण राधा के साथ होली खेलने के लिए नंदगाव से मथुरा आया करते थे।
#WATCH | UP: 'Lathmar Holi" celebrations in Nandgaon area of Mathura pic.twitter.com/KDaHKihQSX
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 1, 2023
बरसाना राधा की जन्मस्थली
भगवान श्रीकृष्ण कि राधा का जन्म बरसाना में हुआ था। मौजूदा स्थति में राधारानी का प्रसिद्ध मंदिर बरसाना ग्राम की पहाड़ी पर स्थित है। बरसाना में राधा को ‘लाड़लीजी’ कहा जाता है। लट्ठमार होली के लिये सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है ‘बरसाना गांव’।
कैसे मानते है, लठ्ठमार होली
होली खेलने नंदगांव के पुरुष बरसाना गांव और बरसाना गांव के लोग नंदगांव में जाते हैं। इस प्रथा को “होरियारे” कहा जाता है।
पुरानी प्रथा के अनुसार नंदगांव के पुरुष बरसाना की महिलाओं पर रंग डालते हैं। जिनसे बचने के लिए वाला की महिलाएं उन पर ‘डंडे’ बरसती हैं। इस मौके पर ठंडाई पीने की प्रथा है।
कमर में फेंटा बांध मनता है “लठ्ठमार होली”
मान्यताओं के अनुसार श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ कमर में फेंटा लगाए राधा और उनकी सखियों से होली खेलते थे।
जिसके बाद ग्वाल वालों पर राधा और उनकी सखियां ‘लठ्ठवार’ करती थीं। ऐसे में लाठी-डंडों की मार से बचने के लिए ग्वाल वृंद भी ढ़ालों का प्रयोग किया करते थे।
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