Tuesday, July 2, 2024
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PM Modi: PM मोदी ने दिया चुनाव लड़ने का ऑफर, जानें कौन है ‘लखपति दीदी’ चंदा देवी?

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India News (इंडिया न्यूज), PM Modi: वाराणसी दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंदादेवी नाम की महिला से चुनाव लड़ने के बारे में पूछा, जबाव में चंदादेवी ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया, ऐसे में क्या आप जानते हैं कि ये चंदादेवी कौन हैं? और उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार क्यों किया? अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंदादेवी नाम की महिला को चुनाव लड़ने की पेशकश की. हालांकि, चंदादेवी ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया।

दरअसल, चंदादेवी वाराणसी के सेवापुरी गांव में भाषण दे रही थीं, उनके भाषण से पीएम मोदी इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने कहा, ‘आप बहुत अच्छे भाषण देते हैं, क्या आपने कभी चुनाव लड़ा है?’ इस पर चंदादेवी ने इंकार कर दिया।
पीएम मोदी ने आगे पूछा, ‘क्या वह चुनाव लड़ेंगी?’ चंदादेवी ने जवाब देते हुए कहा, ‘हमने कभी चुनाव लड़ने के बारे में नहीं सोचा है, हम आपसे ही प्रेरित हैं, आपके सामने खड़ा होकर मंच पर दो शब्द कहना, ये मेरे लिए गर्व की बात है।

चंदादेवी ‘लखपति दीदी’ हैं

35 वर्षीय चंदादेवी रामपुर गांव की रहने वाली हैं, चंदादेवी ‘लखपति दीदी’ हैं, यह केंद्र सरकार की एक योजना है, जिसके तहत सरकार का लक्ष्य दो करोड़ महिलाओं को प्रशिक्षित करना है। चंदादेवी ने बताया कि उन्होंने साल 2004 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी, अगले ही साल 2005 में उनकी शादी लोकपति पटेल से हो गई, शादी के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी।

चंदादेवी के दो बच्चे हैं

फिलहाल चंदादेवी के दो बच्चे हैं, बड़ी बेटी प्रिया 14 साल की है और हिंदी मीडियम प्राइवेट स्कूल में पढ़ती है। छोटा बेटा 8 साल का अंश है जो फिलहाल सरकारी स्कूल में पढ़ता है। चंदादेवी का कहना है कि उनके दोनों बच्चे पढ़ाई में होनहार हैं। उन्होंने कहा कि वह ज्यादा नहीं पढ़ पाईं, लेकिन चाहती हैं कि उनके बच्चे अच्छे कॉलेज में पढ़ाई करें, उन्होंने बताया कि जब से ‘राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन’ प्रारंभ हुआ तब से उन्होंने अपने गांव में समूह अध्यक्ष के रूप में कार्य करना प्रारंभ कर दिया था। पिछले माह से वह 19 माह तक बड़की गांव के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ‘बैंक सखी’ रही हैं।

गांव वालों की करती हैं मदद

चंदादेवी बताती हैं कि वह जरूरतमंदों को ऋण उपलब्ध कराने के अलावा गांव की सहायता समूह की महिलाओं के लगभग 80-90 बैंक खातों की देखभाल करती हैं। उनका कहना है कि उनके परिवार में इसे लेकर कोई समस्या नहीं है और सभी उनका समर्थन करते हैं।

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