होम /  UP Politics: क्या यूपी में खड़गे के सहारे दलित वोट बैंक को हासिल करने की तैयारी में कांग्रेस? यहां से लड़ सकते हैं चुनाव

 UP Politics: क्या यूपी में खड़गे के सहारे दलित वोट बैंक को हासिल करने की तैयारी में कांग्रेस? यहां से लड़ सकते हैं चुनाव

• LAST UPDATED : September 14, 2023

India News (इंडिया न्यूज़), Martand Singh, UP Politics: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए इन दिनों लगातार नई-नई रणनीतियों पर काम कर रही है। वह कुछ दिनों पूर्व यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को बदल चुकी है। कांग्रेस समझ चुकी है कि बिना यूपी फतह किए उसके लिए दिल्ली की गद्दी पर बैठना बेहद मुश्किल है। ऐसे में वह यूपी पर खासतौर से ध्यान दे रही है। अब खबर सामने आ रही है कि लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के दलित मतदाताओं को लुभाने के लिए कांग्रेस पार्टी अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रमुख दलित चेहरा मल्लिकार्जुन खड़गे को यूपी से चुनावी मैदान में उतार सकती है।

खड़गे को मैदान में उतारने की योजना

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस थिंक टैंक 2024 के लोकसभा चुनाव में राज्य से पार्टी के कुछ दिग्गजों को मैदान में उतारने की योजना पर काम कर रहा है। खड़गे की दावेदारी से न सिर्फ कांग्रेस को फायदा होगा बल्कि गठबंधन की सहयोगी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को भी लाभ मिल सकता है। दलित वोटों पर अपनी पकड़ फिर से हासिल करने के लिए कांग्रेस पार्टी खड़गे को राज्य में किसी आरक्षित सीट से चुनाव लड़वा सकती है। पार्टी में यह धारणा बढ़ती जा रही है कि बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती का करिश्मा और दलितों जिसमें मुख्य रूप से जाटव शामिल हैं पर उनकी पकड़ कम हो रही है।कांग्रेस पार्टी इस शून्य को भरने के लिए एक स्वाभाविक विकल्प हो सकती है। यही कारण है कि वह खड़गे को मैदान में उतारने की योजना बना रही है।

बाकायदा सीटों को भी तलाशने के काम शुरू

मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए बाकायदा सीटों को भी तलाशने के काम शुरू कर दिया गया है। पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों से सीटों का फीड बैक लिया जा रहा है। समजवादी पार्टी का कभी गढ़ रहे इटावा की लोकसभा सीट को लेकर मंथन किया जा रहा है। कांग्रेस पार्टी खड़गे को इटावा से मैदान में उतारती है, तो इससे आसपास के निर्वाचन क्षेत्रों में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को मदद मिलेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि सपा और कांग्रेस दोनों इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं। हालांकि ये बातें अभी शुरुआती दौर में हैं। एतव के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की कई सुरक्षित सीटों पर भी पार्टी होम वर्क कर रही है। साथ ही ये खबर भी सामने आ रही है कि खड़गे कर्नाटक में अपनी पारंपरिक सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं। यानी कि राष्ट्रीय अध्यक्ष को दो जगहों से चुनाव लड़ाने की पार्टी तैयारी कर रही है।

राहुल गांधी को प्रयागराज से मैदान में उतारा जा सकता

यह भी खबर सामने आ रही है कि पूर्व कांग्रेस प्रमुख और वायनाड सांसद राहुल गांधी अपनी पारंपरिक अमेठी सीट से चुनाव लड़ेंगे, जबकि उनकी बहन और पार्टी महासचिव राहुल गांधी को प्रयागराज से मैदान में उतारा जा सकता है।
हालांकि अगर सोनिया गांधी अपने स्वास्थ्य के कारण रायबरेली से चुनाव लड़ने से इनकार करती हैं, तो प्रियंका अपनी मां की जगह लेने के लिए एक उपयुक्त विकल्प होंगी। वहीं कांग्रेस पदाधिकारियों का दावा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे को मैदान में उतारने के कदम का लक्ष्य दलित वोट हासिल करना था। अगर बसपा विपक्षी इंडिया गठबंधन का हिस्सा बन जाती है तो भी इसमें कोई बदलाव होने की संभावना नहीं है।

बसपा को भी लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखना

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष अजय राय पहले ही कह चुके हैं कि बसपा को भी लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए और इंडिया गठबंधन में शामिल होना चाहिए। एक अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि राय जो कह रहे थे उसमें कुछ भी गलत नहीं था। वह कहते हैं कि हर कोई जानता है कि घोसी उपचुनाव में बसपा ने अपने मतदाताओं से आह्वान किया था कि या तो घर बैठें या नोटा का बटन दबाए। इसके बावजूद केवल 1,700 से कुछ अधिक मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना।

दूसरी पार्टियों के पास यूपी में मजबूत वोट बैंक

यूपी कांग्रेस के लिए दलित वोट बैंक इसलिए महत्वपूर्ण है कि यहां लोकसभा की 80 सीटें हैं। यह देश के किसी राज्य के मुकाबले सबसे अधिक सीटों वाला राज्य है। ऐसे में इन 80 सीटों में से आधी भी अगर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जीत लेती है तो केंद्र में सरकार बनाना आसान हो सकता है। यहां कांग्रेस के साथ सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि राज्य में पार्टी का कोई लोकप्रिय चेहरा नहीं है जिसके सहारे वह चुनाव में जीत दर्ज कर सके। दूसरी सबसे बड़ी समस्या कांग्रेस के पास यह है कि उत्तर प्रदेश में उसके पास दूसरी पार्टियों की तरह कोई वोट बैंक नहीं है। दूसरी पार्टियों के पास यूपी में मजबूत वोट बैंक है।

दलित समाज कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता

वहीं अगर कांग्रेस की बात करें तो यूपी में पार्टी के पास जातीय राजनीति के इस दौर में विभिन्न जातियों का ऐसा कोई मजबूत समीकरण नहीं है जो उसे बड़ी जीत दिला सके। कभी दलित समाज कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता था लेकिन अब वह उससे दूर चला गया है। यूपी में बसपा के पास दलित वोट बैंक का मजबूत आधार दशकों से रहा है। अब यह वोट बैंक धीरे-धीरे भाजपा और दूसरी पार्टियों की तरफ शिफ्ट हो रहा है। ऐसे में कांग्रेस की रणनीति दलित वोटों को अपनी ओर करने की है। ऐसा करने में अगर पार्टी कामयाब हो जाती है तो उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ी उलटफेर हो सकती है।

Also Read: Sanjay Singh: राज्यसभा सांसद बोले- अगर कोई संगठन अपना नाम Modi रख लेगा तो क्या देश के प्रधानमंत्री अपना…

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT
mail logo

Subscribe to receive the day's headlines from India News straight in your inbox