इंडिया न्यूज, लखनऊ:
Agriculture law Is Not The Main Election Issue In UP कृषि कानून वापस लिए जाने के बावजूद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व अन्य मुद्दों के नाम पर उत्तर प्रदेश (उप्र) और पंजाब की सीमा पर रार जारी है। इस बीच, दिल्ली, पंजाब, लखनऊ और बनारस विश्वविद्यालय के शोधार्थियों के सर्वे में भारतीय जनता पार्टी के लिए राहत की बात सामने आई है। (Agriculture law Is Not The Main Election Issue In UP)
यह सर्वे बता रहा है कि इस बार उत्तर प्रदेश और पंजाब में कृषि कानून प्रमुख चुनावी मुद्दा नहीं होगा। सर्वे में मतदाताओं ने कृषि कानूनों पर चल रही रार को बहुत अधिक तव्वजो नहीं दी है। उत्तर प्रदेश और पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनावों के मद्देनजर दिल्ली व अन्य तीनों विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों ने यह जानने का प्रयास किया कि मतदाता किन मसलों पर मतदान करेंगे। (Agriculture law Is Not The Main Election Issue In UP)
400 से अधिक शोधार्थियों ने 11 हजार से अधिक मतदाताओं से बातचीत कर रिपोर्ट को तैयार किया। इसमें मतदाता महंगाई, रोजगार, महिला सुरक्षा व कानून व्यवस्था को बड़ी समस्या मानते हैं। खास बात यह है कि कृषि कानूनों को लेकर साल भर तक दिल्ली की सीमा पर चले प्रदर्शन का मतदाताओं पर कोई खास असर नहीं है। (Agriculture law Is Not The Main Election Issue In UP)
दोनों राज्यों के मतदाताओं में महज 8.2 प्रतिशत ही इसे चुनावी मुद्दा मानते हैं। इसमें यदि उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां सिर्फ 4.3 प्रतिशत ने ही इसे प्रमुख मुद्दा बताया, जबकि पंजाब में 14.8 प्रतिशत लोगों ने इसे प्रमुख मुद्दा माना। अध्ययन से यह भी पता चला कि पंजाब के ग्रामीण इलाकों में कृषि कानून को चुनावी मुद्दा मानने वाले लोग ज्यादा हैं।(Agriculture law Is Not The Main Election Issue In UP)
दिल्ली विश्वविद्यालय के वैश्विक अध्ययन केंद्र ने सर्वे की पहल की। उत्तर प्रदेश के सभी 75 और पंजाब के 22 जिलों में सर्वे किया गया। केंद्र के निदेशक प्रो.सुनील कुमार चौधरी ने बताया कि 14 से 28 नवंबर के बीच किए गए सर्वे में मतदाताओं से कृषि कानून, मंहगाई, कानून व्यवस्था, महिला सशक्तिकरण, ड्रग्स, विकास एवं सुशासन पर सवाल पूछे गए। सर्वे में उत्तर प्रदेश के 6930 और पंजाब के 4144 मतदाता शामिल हुए। (Agriculture law Is Not The Main Election Issue In UP)
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