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Ghosi Bypoll 2023: घोसी उपचुनाव में चंद्रशेखर आजाद की खामोशी, अखिलेश यादव का क्या होगा नुकसान?

• LAST UPDATED : August 28, 2023

India News UP (इंडिया न्यूज़),Chandramani Shukla, Ghosi Bypoll 2023: घोसी उपचुनाव को लेकर पूरे प्रदेश में लगातार राजनीतिक हलचल देखी जा रही है। इस उपचुनाव को इंडिया और एनडीए के मुकाबला के तौर पर देखा जा रहा है। साथ ही इसे 2024 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल भी कहा जा रहा है। इस उपचुनाव के महत्व को देखते हुए दोनों ओर से तैयारियां जोरों से की जा रही हैं। एक तरफ जहां एनडीए के उत्तर प्रदेश में साथी निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद और सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर लगातार घोसी में जनसभाएं कर रहे हैं तो दूसरी तरफ अगर इंडिया की बात करें तो कांग्रेस और वाम दलों की तरफ से भले ही समर्थन का पत्र जारी किया गया हो या रालोद की तरफ से भी समर्थन की बात कही जा रही हैं।

अखिलेश यादव के पुराने सहयोगी जयंत चौधरी के अलावा पल्लवी पटेल की भी इस चुनाव में किसी प्रकार की कोई सक्रियता नजर नहीं आ रही। वहीं बीते कई उपचुनाव से समाजवादी पार्टी का समर्थन करते आए चंद्रशेखर आजाद भी इस चुनाव में खामोश हैं।

समाजवादी पार्टी के लिए चंद्रशेखर आजाद की खामोशी नुकसानदायक

चंद्रशेखर आजाद की खामोशी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के लिए नुकसान दायक भी हो सकती है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण इस सीट पर बसपा का प्रत्याशी मैदान में न होना है। वहां के जातीय गुणा गणित को देखें तो इस विधानसभा सीट पर 4,30,452 मतदाता है। इस चुनाव में जब सपा और भाजपा की सीधी लड़ाई है तो यहां किसी भी दल के लिए जातिगत समीकरण साधना काफी मायने रखता है क्योंकि घोसी विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा मतदाता दलित समुदाय के हैं। बसपा की तरफ से कोई प्रत्याशी ना होने की दशा में इनमें बिखराव होने की पूरी आशंका है। ऐसे में कौन सा दल इन वोटरों को लुभा पाएगा यह निर्णायक होगा।

मुस्लिम बहुल इलाका

वही यहां पर दूसरी सबसे बड़ी आबादी मुस्लिम समुदाय की है। मुस्लिम समुदाय के करीब यहां पर 60,000 के आसपास मतदाता हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में भूमिहार मतदाताओं का भी अपना एक प्रभाव है और वह किसी भी दल की हार जीत पर अंतर डाल सकते हैं। घोसी विधानसभा सीट पर भूमिहारों की कुल संख्या 48,500 के करीब बताई जाती है तो वही यहां यादव मतदाता भी बड़ी संख्या में है। जिनकी संख्या 42,000 के आसपास है। इसके अलावा राजभर मतदाता लगभग 40,000, लेनिया लगभग 36,000, निषाद लगभग 16,000, राजपूत लगभग 15,000, कोईरी लगभग 6,200, कुर्मी लगभग 5,700, दुसाध लगभग 5,400, खटीक लगभग 4,200, ब्राह्मण लगभग 4,100, गौड़ तथा खरवार लगभग 3,500, लाला लगभग 1600, नाई 1300, कुम्हार 1200, मुसहर 900, सिंधी 800, तथा अन्य बिरादरी के लगभग 75,000 के आस पास मतदाता हैं।

2022 के विधानसभा चुनाव में जब दारा सिंह चौहान लड़े थे चुनाव

2022 के विधानसभा चुनाव में जब दारा सिंह चौहान समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे। तब उन्हें 108,430 वोट मिले थे। वहीं भाजपा की ओर से प्रत्याशी रहे विजय राजभर को 86,214 वोट मिले थे, जबकि बसपा के उम्मीदवार वसीम इकबाल को 54,248 मिले थे। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार प्रियंका यादव को 2,012 मिले थे। मतलब साफ है इस सीट पर बसपा के वोटर निर्णायक भूमिका में रहने वाले हैं। ऐसे में सामाजवादी पार्टी को अपना पीडीए का फॉर्मूला ही नज़र आ रहा है वहीं उसे अपने साथियों की तरफ से उतना साथ नहीं मिल रहा। अब जब इस उपचुनाव को लेकर चंद्रशेखर आजाद की ओर से अपना रुख स्पष्ट नहीं किया गया है। ऐसे में दलित वोटर का रुख किस ओर होगा ये देखने वाला होगा।

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