इंडिया न्यूज यूपी/यूके, वाराणसी: ज्ञानवापी मामले में शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर शुक्रवार को फैसला आना है। मामले में जिला जज एके विश्वेश फैसला सुना सकते हैं। कार्बन डेटिंग को लेकर हिन्दू पक्ष में दो धड़े हो गए हैं।
बता दें कि दोपहर दो बजे के बाद दोनों मामलों में सुनवाई होनी थी लेकिन अदालत बंद होने से सुनवाई हीं हो सकी। पहले मामले में जहां किरन सिंह के पूरा परिसर हिंदुओं को सौंपने के मामले में जहां सुनवाई होनी थी वहीं शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के शिवलिंग के पूजन और भोग को लेकर भी अदालत को सुनवाई करनी थी।
ये था मामला
दरअसल ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के दौरान वजू खाने से शिवलिंग बरामद किया गया था। जिसे मुस्लिम पक्ष ने फव्वारा बताया तो अदालत ने शिवलिंग मानते हुए उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की थी। उसके बाद से ही वजू खाने में शिवलिंग को सील कर दिया गया था। जिसके पूजन और भोग के लिए मांग की जा रही थी। वहीं पूरे परिसर में हिंदू मंदिर के साक्ष्य मिलने के बाद से ही परिसर को हिंदुओं को सौंपने की मांग की गई है।
जानिए क्या होती है कार्बन डेटिंग
कार्बन डेटिंग आखिर होती क्या है और इस परीक्षण से किन चीजों को लेकर नतीजे निकाले जा सकते हैं? इस बारे में BHU के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अशोक सिंह ने खास बातचीत में कहा कि कार्बन डेटिंग केवल उन्हीं चीजों की हो सकती है, जिसमें कभी कार्बन रहा हो।
इसका सीधा-सीधा मतलब हुआ कि कोई भी सजीव वस्तु जिसके अंदर कार्बन होता है, जब वह मृत हो जाती है तब उसके बचे हुए अवशेष की गणना करके कार्बन डेटिंग की जाती है। जैसे हड्डी, लकड़ी का कोयला, सीप, घोंघा इन सभी चीजों के मृत हो जाने के बाद ही इनकी कार्बन डेटिंग की जाती है। जैसे हड्डी, लकड़ी का कोयला, सीप, घोंघा इन सभी चीजों के मृत हो जाने के बाद ही इनकी कार्बन डेटिंग की जाती है।
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