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Harish Rawat: मेरा राजनीतिक उद्देश्य से दिल्ली का यह लगभग अंतिम दौरा, हरदा ने राजनीति से संन्यास के दिए संकेत?

• LAST UPDATED : May 12, 2023

India News(इंडिया न्यूज़), उत्तराखंड “ Harish Rawat :” कांग्रेस का नुकसान हुआ है तो उसकी भरपाई का प्रयास भी मुझे ही करना चाहिए। इतना अवश्य है कि इस भरपाई के लिए मैं एक सामान्य कांग्रेसजन जो किसी पद की आकांक्षा में नहीं है, के रूप में कार्य करूंगा और पार्टी को चतुर्दिक निरंतर शक्ति देता रहूंगा।

https://twitter.com/harishrawatcmuk/status/1656569628792070144?s=20

हरदा ने ट्वीट कर लिखा

हरीश रावत ने अपने ट्वीटर अकाउंट में लिखा मैं कांग्रेस कनार्टक के निश्चित जीत के लिए बधाई देने दिल्ली जा रहा हुं। यह मेरा राजनीतिक उद्देश्य से दिल्ली का लगभग अंतिम प्रवास होगा। मैं अब अपने जीवन की शेष शक्ति उत्तराखंड कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने के लिए लगाना चाहता हूं, क्योंकि यह तो तथ्य है कि 2017 में जिस समय कांग्रेस की हार हुई लगभग संपूर्ण नेतृत्व मेरे हाथ में था।

यदि कांग्रेस का नुकसान हुआ है तो उसकी भरपाई का प्रयास भी मुझे ही करना चाहिए। हां इतना अवश्य है कि इस भरपाई के लिए मैं एक सामान्य कांग्रेस जन जो किसी पद की आकांक्षा में नहीं है, उस रूप में कार्य करूंगा और पार्टी के चतुर्भुज नेतृत्व को निरंतर शक्ति देता रहूंगा।

हरीश रावत का जन्म अल्मोड़ा के एक परिवार में

बता दें, हरीश रावत का जन्म 27 अप्रैल 1948 को एक कुमाऊंनी राजपूत परिवार में अल्मोड़ा जिले के मोहनारी गांव में हुआ था। हरीश रावत ने जीआईसी चौनालिया से पढ़ाई की और फिर लखनऊ विश्वविद्यालय से कला स्नातक और एलएलबी की डिग्री हासिल की। अगर उनके प्रेम प्रसंग की बात करें तो उन्होंने कांग्रेस सदस्य और राजनेता रेणुका रावत से शादी की है।

हरीश रावत का राजनीति में बड़ी लंबा सफर रहा है। हरदा ने ग्रामीण स्तर की राजनीति से शुरुआत करते हुए 1980 में अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र से भाजपा के दिग्गज मुरली मनोहर जोशी (Murali Manohar Joshi) को हराकर 7वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में भारतीय संसद में शामिल हुए। जिसके बाद उनको 8वीं और 9वीं लोकसभा चुनाव में भी जीत मिली।

2000 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में चुना

वहीं, सन् 2000 में हरीश रावत को सर्वसम्मति से उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। 2009 के आम चुनाव में उन्होंने हरिद्वार से चुनाव लड़ा और 3।3 लाख से अधिक मतों के साथ चुनाव जीता। इसके साथ ही फरवरी 2014 में, हरीश रावत क सिर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का ताज सजाया गया।

समय बदलता रहा पार्टी में बगावत की बु आने लगी। तारीख 18 मार्च 2016 जब नौ कांग्रेसी विधायकों ने रावत के खिलाफ विद्रोह कर शुरु कर दिया। जिससे कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार अल्पमत में आ गई। जिसके चलते केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लिया। लेकिन बगावत के बाद भी 11 मई 2016 को रावत विश्वास मत जीतकर एक बार फिर से मुख्यमंत्री बने। लेकिन हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से हार गई। हरीश रावत उन दो सीटों (हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा) से भी हार गए, जहां से उन्होंने चुनाव लड़ा था।

2014 से 2017 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे

हरीश सिंह रावत एक भारतीय राजनेता है और 2014 से 2017 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं। हरीश रावत पांच बार संसद सदस्य और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (Indian National Congress) के नेता हैं। बता दें,हरदा ने 15वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में 2012 से 2014 तक प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह की कैबिनेट में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री (Union Minister of Water Resources) के रूप में कार्य किया था।

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