India News (इंडिया न्यूज), Kejriwal In Lucknow: आज सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने आज दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल गए। उन्होंने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से केंद्र द्वारा पारित अध्यादेश पर साथ मांगा। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि वो उनके साथ है साथ ही वो दिल्ली की जनता के साथ हैं। सपा के मुखिया ने कहा कि ये अध्यादेश दिल्ली की जनता के हितों के खिलाफ है। दिल्ली सीएम के साथ पंजाब के सीएम भगवंत मान भी मौजूद रहे।
इस मीटिंग के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि “आज लखनऊ में अखिलेश यादव से मुलाक़ात हुई। समाजवादी पार्टी भी संसद में केंद्र सरकार के ग़ैर-संवैधानिक और तानाशाही अध्यादेश का विरोध करेगी एवं दिल्ली की जनता के अधिकारों के साथ खड़ी होगी। दिल्ली के सभी लोगों की तरफ़ से मैं श्री अखिलेश यादव जी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ।”
आज लखनऊ में श्री @yadavakhilesh जी से मुलाक़ात हुई। समाजवादी पार्टी भी संसद में केंद्र सरकार के ग़ैर-संवैधानिक और तानाशाही अध्यादेश का विरोध करेगी एवं दिल्ली की जनता के अधिकारों के साथ खड़ी होगी। दिल्ली के सभी लोगों की तरफ़ से मैं श्री अखिलेश यादव जी का तहे दिल से शुक्रिया अदा… pic.twitter.com/5d4FhLu9eQ
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 7, 2023
इस मुलाकात के बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि “मैं उन्हें (अरविंद केजरीवाल) को भरोसा दिलाता हूं कि दिल्ली का अध्यादेश जो आया है वह गैर लोकतांत्रिक है और इस लड़ाई में हम आपके साथ हैं। इसी के साथ उन्होंन लखनऊ में हुए शूटआउट पर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा किए। उन्होंने कहा कि “इस विषय पर अगर समाजवादी पार्टी कुछ कह देगी तो आप कहेंगे कि समाजवादी पार्टी ने मरवा दिया।”
केंद्र ने 19 मई को दिल्ली में ग्रुप-ए के अधिकारियों के तबादले और पोस्टिंग के लिए एक प्राधिकरण बनाने के लिए अध्यादेश जारी किया था, जिसे आप सरकार ने सेवाओं के नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ धोखा बताया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर दिल्ली में सेवाओं का नियंत्रण निर्वाचित सरकार को सौंपे जाने के एक सप्ताह बाद यह अध्यादेश आया। यह DANICS कैडर के ग्रुप-ए अधिकारियों के स्थानांतरण और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए एक राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण स्थापित करना चाहता है। शीर्ष अदालत के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग लेफ्टिनेंट गवर्नर के कार्यकारी नियंत्रण में थे।
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