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Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव की तैयारी में बसपा का साइलेंट ऑपरेशन, ऐसे मैदान-ए-जंग की तैयारी में जुटी मायावती

• LAST UPDATED : June 18, 2023

India News (इंडिया न्यूज़), Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा और सपा के बीच सोशल मीडिया पर चाहे जैसी जंग चल रही हो। मगर बसपा हमेशा की तरह अपने अंदाज में फिर साइलेंट ऑपरेशन में लगी है। बरेली मंडल में मायावती की पार्टी 2024 के लिए दबे पांव ऐसे चुनावी लड़ाके खोज रही है, जो मैदान-ए-जंग को त्रिकोंणीय बनाकर विरोधी पार्टियों को हाथी का दम दिखा सकें।

बरेली मंडल में बसपा के लिए सबसे बड़ी चुनावी कसक ये है कि दिल्ली की रेस में पार्टी हर बार मैदान में उतरी जरूर है मगर अभी तक उसका कोई सूरमा बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर से जीतकर दिल्ली नहीं पहुंच सका है। बरेली मंडल में जीत की दहलीज तक पहुंचने को मायावती की पार्टी ने बरेली मंडल में कभी घर तो कभी बाहर के दिग्गज लड़ने उतारे हैं मगर उसके सभी मोहरे अभी तक पिटते ही नजर आए हैं।

बसपा उम्मीदवार को भाजपा प्रत्याशी से खानी पड़ी थी पटखनी

रुहेलखंड में लोकसभा की 11 सीटें हैं, जिनमें सबसे ज्यादा छह सांसदों के संख्या के साथ भाजपा नंबर-1 तो तीन सीटों पर कब्जे के साथ बसपा नंबर-2 पार्टी है। 2019 के चुनाव बसपा और सपा ने गठबंधन करके लड़ा था। उस वक्त अपने हिसाब से गठजोड़ के गणित के समाजवादी पार्टी ने बरेली मंडल में बरेली, बदायूं और पीलीभीत से अपने उम्मीदवार उतारे थे, तो आंवला व शाहजहांपुर बसपा के प्रत्याशी मैदान में कूदे थे। हालांकि मंडल की सभी पांच सीटों पर सपा-बसपा गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा था। बरेली सीट से सपा उम्मीदवार पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार भाजपा के पूर्व केन्द्रीय मंत्री संतोष गंगवार के मुकाबले शिकस्त खा बैठे।

बिजनौर छोड़ आंवला के रण में उतरीं बसपा की रुचिवीरा को भाजपा उम्मीदवार धर्मेन्द्र कश्यप से हार झेलनी पड़ी। बदायूं में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के भाई पूर्व सांसद धर्मेन्द्र यादव को भाजपा प्रत्याशी संघमित्रा मौर्या के आगे हार का मुंह देखना पड़ा। ऐसे ही शाहजहांपुर में बसपा उम्मीदवार अमर चंद्र जौहर को भाजपा प्रत्याशी अरुण सागर से पटखनी खानी पड़ी थी। पीलीभीत सीट पर भाजपा के वरुण गांधी ने सपा प्रत्याशी हेमराज वर्मा को बड़े अंतराल से पराजित किया था।

मुरादाबाद मंडल में भाजपा नहीं खोल पाई था खाता

हालांकि बरेली मंडल की पांच सीटों पर हार का बदला सपा-बसपा ने मुरादाबाद मंडल की सभी छह सीटों पर भाजपा को पछाड़कर ले लिया था। 2019 में मुरादाबाद मंडल की अमरोहा सीट से बसपा के कुंवर दानिश अली, बिजनौर से मलूक नागर और नगीना सुरक्षित सीट से गिरीश चंद्र विजयी रहे थे। वही, मुरादाबाद से सपा के डा. एसटी हसन, संभल से शफीकुर्रहमान बर्क और रामपुर से आजम खां ने बाजी अपने नाम की थी।

मुरादाबाद मंडल में भाजपा का उस वक्त खाता भी नहीं खुला था। बाद में सपा सांसद आजम खां ने विधायक बनने के बाद लोकसभा सदस्यता छोड़ दी। तो उप चुनाव में भाजपा उम्मीदवार घनश्याम लोधी ने सपा प्रत्याशी को हराकर रामपुर में कमल खिला दिया था। मौजूदा समय में बरेली मंडल की सभी पांच सीटों पर भाजपा काबिज है। तो मुरादाबाद मंडल की छह सीटों में से तीन पर बसपा, दो पर सपा और एक पर भाजपा का कब्जा है।

बसपा का बरेली-मुरादाबाद मंडल में नहीं खुल पाया था खाता

बात अगर 2014 के लोकसभा चुनाव की करें तो उस समय रुहेलखंड की 11 लोकसभा सीटों की कहानी बिल्कुल अलग थी। नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में बरेली-मुरादाबाद मंडल में भाजपा की प्रचंड आंधी चली थी और 11 में से 10 सीटों पर भगवा बिग्रेड ने कब्जा जमा था। बरेली से भाजपा के संतोष गंगवार, आंवला से धर्मेन्द्र कश्यप, पीलीभीत से मेनका गांधी, शाहजहांपुर से कृष्णा राज जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। वहीं, मुरादाबाद से कुंवर सर्वेश कुमार, रामपुर से डॉ. नैपाल सिंह, संभल से सत्यपाल सिंह, बिजनौर से कुंवर भारतेन्द्र, नगीना से यशवंत सिंह और अमरोहा से कुंवर सिंह तंवर ने मुकाबले भाजपा के नाम किए थे।

उस समय बरेली-मुदाबाद मंडल में अकेली बदायूं सीट ऐसी थी, जहां से समाजवादी पार्टी विजयी रही थी और सैफई परिवार के धर्मेन्द्र यादव सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे थे। बसपा का बरेली-मुरादाबाद मंडल में तब खाता भी नहीं खुला था।

चुनावी रणनीति बनाने में जुटी मायावती

पार्टियों के बीच अब मोर्चाबंदी 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर हो रही है। तो सभी अपनी-अपनी तरह से जिताऊ उम्मीदवारों की खोज में जुटी हैं। भाजपा और सपा के चुनावी होमवर्क के शोर सोशल मीडिया पर खूब उठ रहे हैं। मगर मायावती की पार्टी अपने चिरपरिचित अंदाज में सोशल मीडिया के धूम-धड़ाके से दूर रहकर चुनावी रणनीति बनाने में जुटी है। सूत्रों के मुताबिक, बसपा की कोशिश भाजपा और सपा के सामने चुनावी रण को त्रिकोंणीय बनाने की नजर आ रही है। इसके लिए हर सीट पर मजबूत उम्मीदवारों की तलाश की जा रही है।

कहा जा रहा है कि अपने तीन  मौजूदा सांसद दानिश अली, मलूक नागर और गिरीश चंद्र को छोड़कर रुहेलखंड की बाकी 8 लोकसभा सीटों पर मायावती की पार्टी पुराने चेहरों की जगह नए उम्मीदवार उतार सकती है। बरेली, बदायूं में बसपा अबकी अल्पसंख्यक कार्ड खेल सकती है, तो आंवला में मौर्या-अल्पसंख्यकबसप में से एक दांव चला जा सकता है। रामपुर, मुरादाबाद, संभल में भी अल्पसंख्यक चेहरों पर दांव बसपा लगा सकती है, जहां अल्पसंख्यकों की ज्यादा आबादी है। बसपा का प्रयास दिल्ली की दौड़ में सपा पर भारी रहने की है, इसके लिए ब्ल्यू बिग्रेड ने अभी से चुनावी गोलबंदी शुरू कर दी है।

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