Lucknow
रिपोर्ट- फरमान अब्बास, लखनऊ
इंडिया न्यूज यूपी/यूके: समाजवादी पार्टी के चेहरे और कद्दावर नेता आजम खान का पूरा का पूरा सियासी सफर विवादों से भरा पड़ा है। 90 के दशक में समाजवादी पार्टी के उदय के साथ ही सपा के मुस्लिम चेहरे के तौर पर उभरे आजम खान ने सांप्रदायिक बयानों को अपनी राजनीति का हिस्सा बना लिया। या यूं कहें कि आजम और उनके विवादित बोलों का साथ चोली दामन जैसा है। जिससे उन्होंने सुर्खियां भी बटोरीं और कन्ट्रोवर्सी को भी गले लगाया।
इमरजेंसी में जेल भी गए थे आजम खान
अलीगढ़ विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई करने वाले आजम खान इमरजेंसी में जेल भी गए। पहली बार 1985 में जनता पार्टी सेक्युलर से विधायक बने। मुलायम और अखिलेश सरकार में चार बार कैबिनेट मंत्री रहे। इस बीच उनके विवादित बोल कभी नहीं थमे। फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा को 2009 में एसपी से टिकट मिलने के खिलाफ बगावत कर दी थी। इस दौरान मुलायम भी उनके निशाने पर रहे। नतीजन उन्हें 24 मई 2009 को पार्टी से निकाल दिया गया।
हालांकि, दिसबंर 2010 में उनकी वापसी हो गई। आजम का सियासी करियर और विवाद एक सिक्के के दो पहलू जैसे रहे हैं। 1989 में मुलायम सरकार में कैबिनेट मंत्री रहते हुए उन्होंने भारत माता को ‘डायन’ तक कह दिया था। जिसके बाद आजम की जुबां और तीखी होती गई। 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे की पृष्ठभूमि जो घटना बनी, उनमें आरोपियों को छुड़ाने का आरोप लगा। 2014 के लोकसभा चुनाव में विवादित बोल के कारण चुनाव आयोग ने आजम के प्रचार पर प्रतिबंध लगा दिया था।
जयाप्रदा के खिलाफ की थी अभद्र टिप्पणी
2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी जयाप्रदा के खिलाफ अभद्र टिप्पणियां पूरे देश में सुर्खिंया बनी। 4 मुकदमे हुए, चुनाव आयोग ने 72 घंटे के लिए बैन कर दिया। लेकिन आजम तो विवादों के आजम थे, न तो उनकी जबान रुकी और न ही लहजा बदला।
आजम खां पर दर्ज हुए लगभग 100 मामले
इस सबके बीच आजम पर रामपुर में जमीन कब्जाने के आरोप में जिला प्रशासन ने उन्हें भूमाफिया की सूची में डाल दिया। इसके अलावा भी उनपर कई मुकदमें दर्ज किए गये। जिसमें मुर्गी चोरी, बकरी चोरी के साथ साथ किताबों की चोरी का भी इल्जाम लगा। जिसे वो सियासी इल्जाम करार देते रहे। एक वक्त तो ये आया कि उनके ऊपर तकरीबन 100 मामले तक दर्ज हो गये। इनमें से कई में उन्हें जमानत मिली तो कई मामलों में उन्हें 27 महीने तक जेल में रहना पड़ा।
आजम खान का विवादों से रिश्ता नया नहीं है। 70 से 80 के दशक में जब फिल्मों में ‘रामपुरी चाकू’ का दौर था, उसी दौर में आजम खान की सियासत में एंट्री हुई थी। अक्सर अपने बयानों को लेकर विवादों में रहने वाले आजम के विवादित बोल और जिद के किस्सों से यूपी की सियासत भरी पड़ी है। दरअसल आजम की पूरी सियासी पहचान ही उनके विवादित फैसलों और बोल ने ही बनाई है।