India News (इंडिया न्यूज़), Martand Singh, Lucknow News: उत्तर प्रदेश में अपनी खोई जमीन तलाशने में जुटी कांग्रेस अब पूरी तरह से चुनावी तैयारियों में सक्रिय हो गई है। पार्टी वोटों के जातीय समीकरण से लेकर बूथ मैनेजमेंट तक की तैयारियों के लिए अलग अलग कार्यक्रम शुरू कर रही है। खोए वोट बैंक को वापस पाने के लिए यूपी कांग्रेस दलित-मुस्लिम गठजोड़ का कार्ड खेलने की तैयारी में है। यूपी कांग्रेस “जय जवाहर – जय भीम” जनसंपर्क अभियान चला रही है। कांग्रेस का मानना है दलित और मुस्लिम पार्टी के मूल वोट है जो अभी किन्ही कारणों से दूर हो गए है। कांग्रेस की कोशिश है कि दलित और मुस्लिम वोट बैंक को विश्वास में लेकर अपना खोया हुआ जनाधार प्राप्त किया जाए।
इसी योजना के तहत यूपी कांग्रेस की तरफ से जय जवाहर जय भीम जनसंपर्क अभियान चला रही है। इस अभियान के तहत 5.52 लाख दलित परिवारों तक सीधे पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। यह जनसंपर्क अभियान 13 अगस्त तक चलेगा। अल्पसंख्यक नेता दलित बस्तियों में जाकर लोगों से सीधे संवाद करेंगे। कांग्रेस नेता उन्हें एक तस्वीर भी भेंट करेंगे, जिसमें डा.भीमराव अंबेडकर प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेंद्र प्रसाद व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू व अन्य नेताओं को संविधान की प्रति देते नजर आएंगे। दलितों और मुसलमानों को याद दिलाया जाएगा कि जब वह कांग्रेस पार्टी में थे, तब उनका कितना सम्मान था और कांग्रेस उनके लिए कितना काम करती थी।
दलित-मुस्लिम गठजोड़ को सफल बनाने के लिए 2 तरह की रणनीति तैयार की गई है। पहली रणनीति एक सप्ताह में 1 लाख दलितों के घर अल्पसंख्यक विभाग के कार्यकर्ताओं को भेजने की है। दूसरी रणनीति दलित परिवार के लोगों को जवाहर लाल नेहरू और भीम राव अंबेडकर की तस्वीर के जरिए साधने की है। राजनीतिक जानकार कांग्रेस के जय जवाहर-जय भीम अभियान को मायावती के वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिशों के रूप में भी देख रहे हैं। लेकिन इसमें कहीं न कहीं समाजवादी पार्टी के मुस्लिम वोटों पर भी सेंध लगने का अंदेशा भी है। अगर ये फॉर्मूला सफल रहा है तो इसका असर देश के कई राज्यों में पड़ेगा और लपेटे में बीजेपी के साथ-साथ बीएसपी और समाजवादी पार्टी भी आ सकती हैं।
यहीं नही यूपी कांग्रेस अलग अलग पार्टियों के खेमे में भी सेंध लगाने की तैयारी में है। अल्पसंख्यक नेताओं के कांग्रेस की ओर बढ़ते रुझान को पार्टी अपने लिए सुखद मान रही है। यही वजह है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व परंपरागत ढांचे के साथ ही पार्टी को नया कलेवर देने में भी जुटी है। प्रदेश कार्यालय में किस दिन दूसरे दल के कितने लोगों ने संपर्क किया, इसकी भी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी बताते हैं कि पार्टी का पुराना वोटबैंक लौट रहा है। दलित-मुस्लिम वर्ग के लोग हर दिन पार्टी की सदस्यता ले रहे हैं। पिछड़ी जाति और अगड़े भी अब कांग्रेस में अपना भविष्य देख रहे हैं।
कांग्रेस के इस अभियान को बीजेपी के पसमांदा समाज को जोड़ने के दांव के काट के रूप में देखा जा रहा है। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और बंगाल के मुस्लिम वोटबैंक में सेंध लगाने के लिए बीजेपी ने पसमांदा का दांव चला है। हाल ही में पार्टी ने तारिक मंसूर और अब्दुल्ला कुट्टी को बीजेपी संगठन में उपाध्यक्ष बनाया गया है। यूपी सरकार में भी पसमांदा समाज से आने वाले दानिश अंसारी मंत्री हैं। पसमांदा मुसलमानों के पिछड़े वर्ग को कहा जाता है। पसमांदा समुदाय काफी समय से सरकारी नौकरियों में कोटा मांग रहा है। कई राज्य सरकारों ने पसमांदा यानी गरीब मुसलमानों को कोटा भी दिया है। कुल मुस्लिम वोट में 15 फीसदी वोट पसमांदा का माना जाता है।
2024 के लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस का फोकस बूथ मैनेजमेंट पर भी है। सक्रिय सदस्यों को बूथ प्रबंधन से लेकर मतदान के समय की सतर्कता के बारे में भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने बताया कि पार्टी लगातार अपने संगठन को मजबूत कर रही है। बूथ लेवल पर भी संविधान रक्षकों की नियुक्ति की जा रही है। शिथिल बूथ अध्यक्षों को बदलने का काम किया जा रहा है। साथ ही पार्टी के तमाम कार्यक्रम जैसे संविधान बचाओ संकल्प यात्रा हो, जय जवाहर जय भीम जनसंपर्क अभियान हो और भी जो कार्यकम है उनको बूथ स्तर तक लेकर जा रहे हैं और लोगों को बीजेपी की नाकामियों के बारे में बताया जा रहा है। साथ ही बीजेपी किस तरह सिर्फ अपने उद्योगपति मित्रों को बचाने के लिए किस तरफ आम आदमी की जेबों को खाली किया है जिससे महंगाई बढ़ी है इससे लोगों को अवगत कराया जा रहा है।
कांग्रेस के ये तमाम अभियान आखिर लोकसभा चुनाव के दौरान किस तरह फायदा पहुचायेंगे ये तो वक्त बताएगा। लेकिन इतना तय है कि अब कांग्रेस सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को माकूल जवाब उसी की भाषा मे जवाब देने को तैयारी में है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रदेश कार्यालय पर रोजाना बैठकों का दौर जारी है। कांग्रेस पूर्व प्रत्याशियों को भी तवज्जो दे रही है। पिछले दिनों प्रदेश कार्यलय पर बैठक बुलाई गई थी जिसमे पूर्व प्रत्याशियों से फीड बैक लिया गया। पार्टी इसी फीडबैक के आधार पर 2024 के रोड मैप को तैयार करने की योजना में है।