India News (इंडिया न्यूज़),Chandramani Shukla, Modi Surname Case: मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिलने के बाद कांग्रेस में जहां जबरदस्त उत्साह दिख रहा है तो वहीं यह उत्साह समाजवादी पार्टी के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरफ से भी देखने को मिला। सपा मुखिया इसे भारतीय लोकतंत्र और न्यायपालिका में लोगों की आस्था को बढ़ावा देने वाला बताया।
राहुल गांधी पर मोदी सरनेम मामले में फैसला आने के बाद जहां I.N.D.I.A. के तमाम दलों की तरफ से प्रतिक्रिया देखने को मिली तो अखिलेश यादव ने भी इसमें देरी नहीं की। अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में लिखा मा. सर्वोच्च न्यायालय ने राहुल गांधी जी की सज़ा पर रोक लगाकर भारतीय लोकतंत्र और न्यायपालिका में लोगों की आस्था को बढ़ावा दिया है। भाजपा की नकारात्मक राजनीति का अहंकारी ध्वज आज उनके नैतिक अवसान के शोक में झुक जाना चाहिए।
मा. सर्वोच्च न्यायालय ने राहुल गांधी जी की सज़ा पर रोक लगाकर भारतीय लोकतंत्र और न्यायपालिका में लोगों की आस्था को बढ़ावा दिया है।
भाजपा की नकारात्मक राजनीति का अहंकारी ध्वज आज उनके नैतिक अवसान के शोक में झुक जाना चाहिए।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 4, 2023
सपा मुखिया अखिलेश यादव के ट्वीट के बाद कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। इस तरह के ट्वीट से उत्तर प्रदेश में अब सपा गठबंधन में कांग्रेस की एंट्री को लेकर हो रही चर्चाओं को भी बल मिलने लगा है। हालांकि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की तरफ से किसी तरह की अभी कोई गठबंधन की घोषणा नहीं हुई है लेकिन जिस तरह से अखिलेश यादव राहुल गांधी का समर्थन करते हुए नजर आ रहे हैं। उससे यह बात तो साफ है कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में अंदर ही अंदर कुछ पक जरूर रहा है। वहीं सपा गठबंधन के उत्तर प्रदेश में एक अन्य सहयोगी आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी कई बार कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की बात कर चुके हैं ऐसे में जिस तरह के हालात बन रहे हैं उससे यह प्रतीत होता है कि जल्द ही उत्तर प्रदेश में एक नया सियासी गठजोड़ देखने को मिलेगा।
देश के सबसे बड़े सियासी सूबे यूपी में भले ही अखिलेश यादव राहुल गांधी करीब आते नजर आ रहे हो लेकिन राजनीतिक जानकारों का ऐसा मानना है की अखिलेश यादव यूपी में कांग्रेस को तभी सीटें देंगे जब उन्हें इससे उन्हें यूपी या उससे बाहर फायदा होगा। जैसा कि बीते लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सियासी स्थिति देखें तो कांग्रेस के पास सिर्फ एक सीट है। वहीं विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस दो विधायकों तक सीमित रह गई है। ऐसे में कांग्रेस का वोट परसेंटेज ढाई प्रतिशत के नीचे आ गया है। इस स्थिति में भी कांग्रेस यूपी में कम सीटों पर समझौता करने को तैयार नहीं होगी।
इसी के चलते एक बीच का रास्ता निकाला जा सकता है कि कांग्रेस को यूपी में उसके वोटबैंक के हिसाब से सपा की अगुवाई वाले गठबंधन में अधिक सीटें दी जाए। इसके बदले में कांग्रेस या I.N.D.I.A. के अन्य दलों के प्रभाव वाले राज्य में समाजवादी पार्टी को लोकसभा की सीटें दी जाएं। इस फॉर्मूले से जहां कांग्रेस की भी यूपी में सीटें मिल जाएंगी और अखिलेश यादव को भी अपनी पार्टी को केन्द्रीय स्तर पर पस्तुत करने का मौका मिल जाएगा।
ये भी पढ़ें:- Up Politics: आजमगढ़ पहुंचे केशव मौर्य, बोले- चाचा भी हार गए भतीजा भी हार गए, यूपी में 80 सीट पर खिलेगा कमल का फूल..