Rampur
इंडिया न्यूज, रामपुर (Uttar Pradesh)। आजादी के बाद रामपुर का नवाब घराना कांग्रेस के साथ रहा जिस तरह से देश की राजनीति में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की नीतियां सिक्के के दो पहलुओं की तरह है। ठीक उसी तरह से नवाबी घराना कांग्रेसी होने के चलते भाजपा धुर विरोधी रहा, लेकिन पहली बार किसी भाजपा विधायक का जीत के बाद कांग्रेस के इस घर में जोरदार स्वागत हुआ है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला…
नूर महल मतलब कांग्रेसी सियासत
रामपुर की सियासत में हमेशा से नूर महल का नाम आते ही लोगों के जहन में कांग्रेस की तस्वीर उभर आती है। इसका बड़ा कारण यह है कि इस नूरमहल को हमेशा ही जनपद स्तर पर कांग्रेस पार्टी के रिमोट कंट्रोल के रूप में जाना जाता रहा है। पहले नवाब जुल्फिकार अली खान उर्फ मिक्की मियां 5 बार सांसद चुने जाने के बाद इसी महल से कांग्रेस की नीतियों को लोगों तक पहुंचाते रहे। उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी बेगम नूर बानो ने दो बार कांग्रेसी सांसद के रूप में अपना सिक्का जमाया। बेगम नूर बानो आज भी कांग्रेसी हैं, लेकिन उनके कांग्रेसी पुत्र एवं पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खान उर्फ नवेद मियां पार्टी से निष्कासित होने के चलते बदल चुके हैं।
यही कारण है कि उनके द्वारा आज किसी सियासी बंधन की परवाह किए बगैर नवनिर्वाचित भाजपा विधायक आकाश सक्सेना का जोरदार स्वागत किया गया। पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खान और भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक आकाश सक्सेना भले ही वर्ष 2019 में हुए उपचुनाव मैं एक दूसरे का मुकाबला कर चुके हों। लेकिन सपा नेता आजम खान से सपा शासनकाल के दौरान जहां सबसे बड़ी दुश्मनी नवाब काजिम अली खान की रही है। उतनी ही दुश्मनी सत्ता परिवर्तन के बाद और यूपी में भाजपा का शासन आने के बाद आकाश सक्सेना से हुई है। यही वह असली कारण है जब आकाश सक्सेना भाजपाई और नवाब काजिम अली खान कांग्रेसी होने के बावजूद भी दुश्मन का दुश्मन दोस्त और दोस्त का दोस्त दुश्मन की मिसाल को कायम करते हुए हाल ही में हुए उपचुनाव मैं एक दूसरे के साथी बन गए।
सियासत ने बदली करवट
अब वक्त ने ऐसी सियासी करवट बदली है कि कांग्रेस से निष्कासित हुए नवाब काजिम अली खान अपनी कांग्रेसी मां बेगम नूर बानो के सियासी करियर की परवाह ना किए बगैर भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक आकाश सक्सेना के स्वागत के साथ ही उनकी तारीफों के पुल बांधने तक नहीं भूले। भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने भी कांग्रेस से निष्कासित हो चुके पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खान की कुर्बानी को अपने ऊपर एहसान बताने से भी कोई गुरेज नहीं किया है। आकाश सक्सेना के स्वागत के दौरान नूर महल में कांग्रेसी भी भाजपाइयों की तरह ही गदगद नजर आए। दो विचारधाराओं के लोग एक ही मंच पर मौजूद रहे, जो अपने आप में भले ही राजनीतिक संगम प्रतीत होता होद्ध लेकिन कांग्रेस के लिए 2024 में होने वाले स्थानीय लोकसभा चुनाव में यह जरूर खतरे की घंटी साबित हो सकती है।
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