India News (इंडिया न्यूज), RLD-NDA Alliance:नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने से आम चुनाव से कुछ सप्ताह पहले उत्तर प्रदेश में राजनीतिक युद्ध-रेखाएं फिर से तैयार हो गई हैं, इस पुरस्कार की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स द्वारा दी हैं।
चरण सिंह को भारत रत्न मिलने के बाद बीजेपी डील पर नेता जयंत चौधरी ने कहा की पिछली सरकारें जो नहीं कर सकीं, वह आज पीएम मोदी के विजन से पूरा हो गया। यह एक बड़ा दिन है और यह मेरे लिए एक भावनात्मक क्षण, श्री चौधरी ने कहा, मैं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, भाजपा सरकार और पीएम मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं। भारत रत्न पुरस्कार चरण सिंह को दिए जाने पर। लोगों की भावनाएं इस फैसले से जुड़ी हैं। मोदी के ट्वीट के 13 मिनट बाद श्री चौधरी ने प्रधान मंत्री के संदेश को दोबारा पोस्ट किया और लिखा की, दिल जीत लिया।
श्री चौधरी से जब पूछा गया कि क्या इसका मतलब यह है कि वह अब भाजपा के साथ गठबंधन करेंगे, तो उन्होंने कहा, सीटों या वोटों के बारे में बात करने से यह दिन कम महत्वपूर्ण हो जाएगा…जब मैं पीएम मोदी को बधाई दे रहा हूं। यह साबित करता है कि वह देश की भावनाओं और चरित्र को समझते हैं। अखिलेश यादव के साथ अभी के लिए रिश्ता तोड़ने से इनकार कर दिया। वो अभी भी पार्टियों के गठबंधन को बरकरार रखेंगे।
सूत्रों का कहना है कि बीजेपी जयंत को दो लोकसभा और एक राज्यसभा सीट दे सकती है। इनमें बिजनौर और बागपत पर बात बनती दिख रही है। इसके साथ ही यूपी में खाली हुई राज्यसभा की एक सीट भी जयंत को दी जा सकती है। यह भी तय हो रहा है कि जयंत को केंद्र में मंत्री बनाया जाए और होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में भी प्रदेश में भी एक मंत्री पद रालोद को दे दिया जाए। इस बारे में बात करने के लिए बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता और एक केंद्रीय मंत्री को लगाया गया है।
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा दोपहर में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। उन्होंने एक्स पर इसकी घोषणा की तो जयंत ने उन्हें जवाब दिया कि -‘दिल जीत लिया।’ इसके बाद से अब तक चर्चाओं में चल रहे रालोद और बीजेपी के गठबंधन को आकार मिल गया। जयंत ने कहा कि मोदी जी ने दिखाया है कि वह देश की सोच और लोगों की भावनाओं को समझते हैं। जब उनसे बीजेपी से सीट बंटवारे को लेकर बात की गई तो उन्होंने कहा कि एेसे दिन चुनाव के बारे में बात करना अपमानजनक होगा। मैने कोई घोषणा नहीं की है। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी और रालोद के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही है। इसे बस फाइनल शेप दिया जाना और घोषणा करना बाकी रह गया है।
बीजेपी के साथ जाना अब जयंत चौधरी के लिए भी मजबूरी बन गया है। दरअसल चौधरी अजित सिंह ने 1999 में रालोद का गठन किया था। इससे पहले 1996 का विधानसभा चुनाव उनकी तत्कालीन पार्टी भारतीय किसान कामगार पार्टी सपा के साथ मिलकर लड़ी थी। उनके 38 उम्मीदवारों में 8 जीते। हालांकि, 1998 के संसदीय चुनाव में भाजपा के सोमपाल शास्त्री बागपत में उन पर भारी पड़े। 1999 में रालोद ने कैराना जीती। साथ ही अजित बागपत पर फिर काबिज होकर अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार का हिस्सा हो गए।
2002 का विधानसभा चुनाव रालोद ने भाजपा के साथ लड़ा और 14 सीटें जीतीं। यह विधानसभा में रालोद का अब तक सबसे अच्छा प्रदर्शन है। 2004 का लोकसभा चुनाव रालोद सपा के साथ लड़ी तो उसके खाते में बागपत और कैराना के साथ बिजनौर भी आ गई। पार्टी का वोट शेयर भी बढ़ा। हालांकि, 2007 के विधानसभा चुनाव के पहले सपा से दोस्ती टूट गई और प्रदेश की दो-तिहाई सीट लड़ने के बाद भी रालोद दहाई पर सिमट गई। 2009 में रालोद फिर भाजपा के साथ आई। हैंडपंप के पानी से कमल तो नहीं ठीक से खिला, लेकिन रालोद को 5 लोकसभा सीट मिली और अजित सिंह के साथ ही जयंत चौधरी भी मथुरा से जीतकर लोकसभा पहुंचे। 2012 में कांग्रेस के साथ विधानसभा लड़कर रालोद इकाई में पहुंची तो 2017 में अकेले लड़कर एक पर रह गई।
2022 में जरूर सपा का साथ भाया और पार्टी 8 सीट जीतने में सफल रही। 2013 के मुजफ्फरनगर के दंगों के बाद से वेस्ट यूपी के समीकरण बदल चुके हैं। रालोद सहित पूरे विपक्ष भी इससे जुदा नहीं है। जाट-मुस्लिम का परंपरागत समीकरण बिखर चुका है। यही वजह है कि जाटों के प्रभुत्व वाली सीट माने जाने वाली बागपत और मुजफ्फरनगर से 2014 और 2019 में अजित सिंह को हार का सामना करना पड़ा। जयंत भी पहले मथुरा और फिर बागपत से हारे। 2019 में तो सपा-बसपा भी साथ थे, इसलिए, जातीय गणित भी पुख्ता थी। लेकिन, भावनाओं का ज्वार भाजपा के पक्ष में गया। किसान आंदोलन, जाटों का गुस्सा सहित हवा में तैरते मुद्दे जमीन पर असर नहीं डाल पाए। सांप्रदायिक लिहाज से संवेदनशील वेस्ट यूपी में इस लहर के खिलाफ खड़ा होना आसान नहीं है। इस वजह से जयंत को अब बीजेपी के साथ जाना ज्यादा फायदेमंद लग रहा है।
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