इंडिया न्यूज यूपी/यूके, रवांडा: अफ्रीकी देश रवांडा में IPU की बैठक में सांसद कार्तिकेय शर्मा पहुंचे। इस दौरान उन्होंने इंटर पार्लियामेंट की असेंबली को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि विश्व के तमाम देशों की संसद में महिला सांसदों और संसदीय स्टाफ के खिलाफ सेक्सिज्म, शोषण और हिंसा पर आई IPU की नई रिपोर्ट का मैं स्वागत और सराहना करता हूं, जिसमें महत्वपूर्ण आंकड़े हैं और जो अच्छे संसदीय आचरण का उदाहरण है। ये आंकड़ें दुखद हैं और बताते हैं कि जेंडर सेंसिटिव संसद के लिए हमें बहुत काम करने की जरूरत है। संसद में महिलाओं के खिलाफ सेक्सिज्म, शोषण और हिंसा से मुक्त करने के लिए ये हमारे लिए आत्मनिरिक्षण का समय है।
भारत की संसद ने महिलाओं के लिए बनाए गए कानून
उन्होंने कहा कि भारत में लैंगिक समानता का सिद्धांत हमारे संविधान में शामिल है और भारत की संसद ने महिलाओं को भेदभाव, हिंसा और अत्याचारों से बचाने और सामाजिक बुराइयों को खत्म करने के लिए कई प्रगतिशील कानून बनाए हैं। 73वें और 74वें संविधान संशोधन से पंचायत, नगर निकाय और स्थानीय निकाय में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिला है।
महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान
सांसद कार्तिकेय शर्मा ने कहा कि ये संविधान संशोधन निकायों में अध्यक्ष पद पर महिलाओं को कम से कम एक तिहाई आरक्षण प्रदान करते हैं। कुछ भारतीय राज्यों ने महिलाओं को ज्यादा भागीदारी देने के लिए 50 फीसदी आरक्षण तक का प्रावधान किया है। मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि पंचायतों और नगर निकायों में चुने गये प्रतनिधियों में से 46 फीसदी से ज्यादा महिलाएं हैं।
हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में महिलाओं के विकास की आदर्श स्थिति से आगे बढ़ते हुए महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की ओर बढ़ गया है। मुझे ये कहते हुए गर्व हो रहा है कि हम नये भारत के विजन के साथ आगे बढ़ रहे हैं, जहां महिलाएं तेज गति और सतत राष्ट्रीय विकास में समान रूप से भागीदार है। मुझे ये कहते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि हमने अभी-अभी एक महिला को भारत की राष्ट्रपति के रूप में चुना है।
भारत में रिकॉर्ड 78 महिला सांसदों ने ली शपथ
साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय संसद की मौजूदा 17वीं लोकसभा में रिकॉर्ड 78 महिला सांसदों ने शपथ ली है, और लोकसभा में ये अब तक महिलाओं की सबसे बड़ी संख्या है। हमने महिला सदस्यों के लिए क्रेच और महिला लाउंज जैसी जेंडर सेंसिटिव सुविधाएं सुनिश्चित की हैं, हमारे पास महिला कर्मचारियों के यौन उत्पीड़न के निवारण के लिए शिकायत समिति भी है। मौजूदा लोकसभा में माननीय लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने एक पहल की ताकि महिला सांसद सुचारू और प्रभावी रूप से संसदीय कार्यवाही में, विचार विमर्श में हिस्सा ले सकें।
सदन के शुरुआती सत्रों में पहली बार संसद पहुंची 46 महिला सांसदों में से 42 ने शून्य काल के दौरान अपनी बात रखी। संसद के सदस्य होने के नाते महिलाओं के लिए लिंगवाद, यौन उत्पीड़न और हिंसा से मुक्त अनुकूल वातावरण तैयार करना हमारा कर्तव्य है। और इसे हासिल करने के लिए सबसे पहले और सबसे जरूरी सर्वोच्च राजनैतिक स्तर पर प्रतिबद्धता और मानसिकता में बदलाव।
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