India News (इंडिया न्यूज़) Suheldev Bhartiya Samaj Party News lucknow : सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता अरुण राजभर ने कहा कि रोहिणी आयोग अपनी रिपोर्ट जल्द केंद्र सरकार को सौंपने वाली है।
इस रिपोर्ट में की गई सिफारिशों के लागू होने पर पिछड़ी जातियों के 27 फीसदी आरक्षण को तीन हिस्सों में बांटे जाने का रास्ता साफ हो जाएगा।
बता दे, कुछ दिन पहले ही यूपी की योगी सरकार ने राजभर समाज के लोगों को आरक्षण देने के लिए एक सर्वे कराया। साथ ही आरक्षण देने की अनुमति भी दे दिया। उस रिपोर्ट को यूपी से पास करने के बाद केंद्र को भेजा गया।
जिसको लेकर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता अरुण राजभर ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए आयोग की रिपोर्ट के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग की करीब डेढ़ हजार जातियों को उनका वाजिब हक मिलेगा।
उन्होंने बताया है कि छह साल की लंबी तैयारी के बाद जस्टिस रोहिणी आयोग ने ओबीसी आरक्षण के वर्गीकरण का काम पूरा कर लिया है। आयोग ने रिपोर्ट सौंपने के लिए केंद्र सरकार से समय मांगा है।
आयोग का कार्यकाल 31 जुलाई को खत्म हो रहा है। सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ओबीसी आरक्षण में बंटवारे को लेकर सड़क से लेकर संसद तक आवाज उठाते रहे हैं। जिसका विरोध सपा और बसपा करती रही है।
जिसने ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण को तीन हिस्सों में बांटते हुए पिछड़ी जातियों को 7 फीसदी, अति पिछड़ी जातियों को 9 फीसदी तथा अतयंत पिछड़ी जातियों को 11 फीसदी दिए जाने की मांग करते रहे हैं। राजभर के प्रयासों के बाद प्रदेश की भाजपा सरकार ने सेवानिवृत्त जज राघवेंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में सामाजिक न्याय समिति बनाई थी।
अरुण ने कहा कि सुभासपा की यह लड़ाई अब कामयाबी के करीब पहुंच रही है। सुभासपा इसका स्वागत करती है और माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी का अभार व्यक्त करती है ।
उन्होंने कहा है कि पार्टी को पूरा विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अन्य पिछड़े वर्ग को न्याय देंगे। पीएम मोदी की सरकार हर वर्ग को उनका हक देने का काम कर रही है।
इन ग्यारह राज्यों में पहले से ही है ओबीसी आरक्षण का वर्गीकरण देश के करीब 11 राज्य ऐसे हैं, जहां पहले से ही ओबीसी आरक्षण का बंटवारा किया जा चुका है। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बंगाल, झारखंड, बिहार, हरियाणा, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी शामिल हैं।
इसके अलावा भी कई राज्यों में इस पर तेजी से काम चल रहा है। आयोग ने अपने अध्ययन में इस राज्यों के फार्मूले को भी बारीकी से परखा है। मौजूदा समय में देश में ओबीसी की करीब 27 सौ जातियां है।
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