India News (इंडिया न्यूज़), Swami Prasad Maurya formed a new party: भारत के राजनीति में किसी भी नेता का एक पार्टी में होना फिक्स नहीं है। कोई कभी भी किसी पार्टी में जा सकता है। एक ऐसे ही नेता उत्तर प्रदेश में है, जिनका नाम स्वामी प्रसाद मौर्य है। स्वामी प्रसाद मौर्य पहले बीजेपी में थे, बाद में वो समाजवादी पार्टी के साथ चले गए। सपा में जाने के स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में बने रहे। जिसके बाद सपा ने उनको उनके पद से निष्कासित कर दिया। बता दे, उनकी बेटी अभी भी बीजेपी में है। 8 साल पहले भी मौर्य ने एक पार्टी बनाई थी। आज फिर वो दूबरा इतिहास को दोहरा रहे है।
समाजवादी पार्टी से नाराज चल रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने नई पार्टी बनाने का ऐलान किया है। भले ही उनकी पार्टी का नाम कोई पार्टी नहीं है लेकिन इस पार्टी के झंडे की तस्वीर भी सामने आ गई है। जिसे तीन रंगों को मिलाकर बनाया गया है। खबरों के मुताबिक, मौर्य 22 फरवरी को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में एक बड़ी रैली को संबोधित करने वाले हैं। इसके बाद उनकी आगे की रणनीति का खुलासा हो सकता है।
स्वामी प्रसाद मौर्य की नई पार्टी के ऐलान के बाद सपा में फूट पड़ सकती है। मौर्य के समर्थन में कई नेता शामिल हो सकते हैं। हाल ही में इस्तीफा देने वाले कमलाकांत गौतम और सलीम शेरवानी जैसे नामों पर भी चर्चा हो रही है। इसके अलावा अपना दल कमेरावादी नेता और सपा विधायक पल्लवी पटेल भी उनका समर्थन कर सकती हैं। पल्लवी पटेल ने अखिलेश यादव पर पीडीए को धोखा देने का भी आरोप लगाया था।
स्वामी प्रसाद मौर्य की नई राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के झंडे की तस्वीर भी सामने आ गई है, जो नीले, लाल और हरे रंग को मिलाकर बनाया गया है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने साल 2016 में एक पार्टी बनाई थी। बीएसपी से बगावत करने के बाद मौर्य ने लोकतांत्रिक बहुजन मंच नाम से पार्टी बनाई थी, जिसका ऐलान उन्होंने लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर रैली ग्राउंड में किया था। हालांकि, इसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए। साल 2017 में उन्हें योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने बीजेपी छोड़ दी और एसपी में शामिल हो गए।
हाल ही में स्वामी प्रसाद मौर्य ने खुलेआम सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के रवैये पर सवाल उठाए थे और राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के पीछे वजह यह मानी जा रही है कि उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा गया। मौर्य ने दावा किया था कि जब से वह सपा में शामिल हुए हैं, तब से वह लगातार पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके बयानों को निजी बताकर खारिज किया जा रहा है और उन्हें अप्रभावी बनाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अब गेंद अखिलेश यादव के पाले में है।
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