India News(इंडिया न्यूज़),Mulayam Singh Yadav Jubilee: सपा के संस्थापक और ‘धरती पुत्र’ के नाम से फेमस मुलायम सिंह यादव की यानि 22 नवंबर को जयंती है। इस अवसर पर यूपी में कई जगह कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। सामान्य परिवार में जन्में मुलायम सिंह यादव ने देश की सियासत में अपना एक अलग ही मुकाम बनाया। इससे जुड़ी कई कहानियां हैं। नेता को साइकिल से खासा लगाव था, उस वक्त सायद ही किसी ने ये सोचा हो की ये साइकिल यूपी की सियासत की बड़ी पहचान बनेगी।
मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को इटावा में एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सुघर सिंह यादव और माता का नाम मूर्ति देवी था। मुलायम सिंह सुघर सिंह के पांच बेटों में तीसरे थे। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा स्थानीय पब्लिक स्कूल में प्राप्त की। हाई स्कूल से आगे बढ़ने के बाद, उन्होंने कॉलेज में प्रवेश किया। उन्होंने स्नातक विद्यालय में भाग लेने के लिए अपने दोस्त रामरूप के साथ घर से 20 किमी जाते थे।
मुलायम सिंह यादव के साइकिल प्रेम का जिक्र फ्रैंक फॉसर की किताब द सोशलिस्ट में किया गया है। मुलायम सिंह को अपने मित्र रामरूप के साथ पढ़ई की थी उन्हें एक बाइक की सख्त जरूरत थी, लेकिन परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के कारण उन्होंने कभी अपने पिता से बाइक नहीं मांगी।
किताब में उनके दोस्त रामरूप ने जिक्र किया है कि एक दिन वह अटावेह के उजियानी गांव से गुजर रहे थे और वहां कुछ लोग ताश खेल रहे थे। गांव के राम प्रकाश गुप्ता ने शर्त लगाई थी कि जीतने वाले को इनाम में रॉबिन हुड बाइक मिलेगी। इसके बाद क्या हुआ कि मुलायम सिंह बैठ गए, ताश खेले और फिर भी जीत गए। तब उन्हें पुरस्कार स्वरूप एक साइकिल मिली।
यह साइकिल जीवन भर मुलायम सिंह यादव के पास रही। कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव साइकिल चलाकर गांव-गांव जाकर लोगों से मिलते और बात करते थे। तीन बार विधायक बनने के बाद भी उन्होंने 1977 तक साइकिल चलाई। जब उन्होंने अपनी पार्टी की स्थापना की, तो उन्होंने साइकिल को चुनाव चिन्ह के रूप में रखा। उन्होंने कहा कि साइकिल का चुनाव चिह्न गरीबी, किसान और मजदूर वर्ग का प्रतीक है।
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