India News (इंडिया न्यूज़),UP Politics: 2024 के लोकसभा चुनावों की सरगर्मियों के बीच रूहेलखंड की हाईप्रोफाइल मानी जाने वाली पीलीभीत लोकसभा सीट से भाजपा सांसद वरूण गांधी के भविष्य पर अभी तक कोई फैसला नहीं हो सका है। वरूण की मां मेनका गांधी अभी सुलतानपुर से सांसद हैं। पिछले कुछ समय से लगातार पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी कर रहे सांसद वरूण गांधी चर्चाओं में हैं। हाल ही में सिविल सेवाओं से रिटायर हुए पूर्व आईएएस नवनीत सहगल के रूहेलखंड की पीलीभीत सीट से राजनीति में उतरने के संकेतों के बाद तेज हुयी सियासी हलचल के बीच अब मेनका गांधी के पीलीभीत सीट से दोबारा चुनाव लड़ने की चर्चा है। इससे पहले 2014 का लोकसभा चुनाव मेनका गांधी ने पीलीभीत से लड़ा था। तब वरूण गांधी सुलतानपुर सीट से ताल ठोंक रहे थे।
इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनावों में मेनका गांधी सुलतानपुर से सांसद चुनीं गयीं और वरूण गांधी ने एक बार फिर पीलीभीत सीट पर परचम लहराया। सूत्रों के मुताबिक अब एक बार फिर चर्चा है कि 2024 के चुनाव में मेनका गांधी अपनी परंपरागत सीट पीलीभीत से चुनाव मैदान में उतरेंगी। वरूण गांधी किस सीट से चुनाव लड़ेंगे अभी ये तय नहीं हो पाया है। हालांकि संसदीय क्षेत्र पीलीभीत में सांसद वरूण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी बारी बारी से दौरा करके अपने खासमखास लोगों से मिल रही हैं। वरूण गांधी भी अक्सर पीलीभीत के दौरे कर रहे हैं।
वरूण गांधी के लीक से हटकर दिए जा रहे सियासी बयानों के बीच कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा इस बार वरूण गांधी को टिकट देने से कतरा रही है।
ऐसे में दूसरे नेताओं ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। पीलीभीत लोकसभा सीट पर योगी सरकार में राज्यमंत्री और पीलीभीत शहर से विधायक संजय सिंह गंगवार भी नजर रखे हुए हैं। लोध किसान और कुर्मी बाहुल्य लोकसभा सीट होने की वजह से संजय गंगवार लोकसभा सीट से अपनी जीत की राह आसान समझ रहे हैं। वहीं हाल ही में समाजवादी पार्टी से भाजपा में आए पूर्व मंत्री हेमराज वर्मा भी पीलीभीत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा मन में दबाए हुए हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में हेमराज वर्मा ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर वरूण गांधी के सामने चुनाव लड़ा था। तब उन्हें लोध किसान वोट बैंक का बड़ा फायदा मिला था। लेकिन वरूण गांधी के सामने हेमराज वर्मा बड़े अंतर से चुनाव हार गए थे।
अब पीलीभीत सीट से दोबारा मेनका गांधी के चुनाव लड़ने की चर्चाओं ने दूसरे नेताओं के अरमानों पर भी पानी फेर दिया है। दरअसल लोकसभा चुनावों में यूपी की 80 सीटों पर नजर गढ़ाए भारतीय जनता पार्टी एक एक सीट पर मंथन करके ही टिकट देना चाहती है। पीलीभीत लोकसभा सीट पहले से ही मेनका गांधी की परंपरागत सीट रही है। पीलीभीत से ही मेनका गांधी ने अपनी राजनैतिक पारी की शुरू की थी। एक बार रामलहर में भाजपा के परशुराम गंगवार की जीत को छोड़ दें तो 1989 के बाद से मेनका गांधी लगातार पीलीभीत से सांसद चुनती आ रही हैं। ऐसे में भाजपा इस मजबूत सीट को छोड़ने के कतई मूड में नहीं है। लिहाजा भाजपा वरूण या मेनका दोनों में से किसी को भी पीलीभीत सीट से लोकसभा का टिकट दे सकती है। पीलीभीत के मौजूदा राजनैतिक हालात कुछ ऐसे हैं कि चाहें मेनका हों वरूण दोनों ही अपनी जीत के प्रति आश्वस्त होकर ही यहां से चुनाव मैदान में उतरते हैं, और हर चुनाव में दूसरे उम्मीदवारों को लाखों वोटों के अंतर से रौंदते हुए लोकसभा पहुंचते हैं।
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