India News (इंडिया न्यूज़),Martand Singh, लखनऊ: एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश की जनता गर्मी से परेशान है। वहीं उससे कहीं ज्यादा उसको परेशानी बिजली कटौती को लेकर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इसको लेकर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। सीएम की नाराजगी के बाद अब उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन बिजली व्यवस्था दुरुस्त करने की कवायद में जुट गया है। तीन जगहों पर अब आईएएस अधिकारी तैनात करने की तैयारी की जा रही है। गोरखपुर, प्रयागराज और झांसी में संयुक्त निदेशक के पद पर इन आईएएस अधिकारियों की तैनाती की जाएगी।
इंडिया न्यूज़ संवाददाता मार्तंड सिंह की ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश की जनता इस समय बिजली कटौती से परेशान है। इसको लेकर मुख्यमंत्री ने एक दिन पहले ही अधिकारियों के पेंच कसे थे। जिसके बाद से पूरा महकमा हरकत में आ गया। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के गोरखपुर और प्रयागराज तथा दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के झांसी के लिए संयुक्त प्रबंध निदेशक के पद को सृजन करने को लेकर कवायद तेज कर दी गई है। इसको लेकर अहम बैठक मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक बुलाई गई है। 27 जून को होने वाली इस बैठक में अपर मुख्य सचिव वित्त के साथ-साथ अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक तथा अपर मुख्य सचिव ऊर्जा और अन्य अधिकारी शामिल रहेंगे। चेयरमैन पावर कारपोरेशन एम. देवराज को इस प्रकरण से संबंधित अभिलेखों और सूचनाओं के साथ बुलाया गया है।
पावर कारपोरेशन में आईएएस अधिकारियों की तैनाती के इस फैसले को लेकर अभियंता संघ ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की है। संघ का कहना है कि ऊर्जा एक तकनीकी विभाग है और इसमें सक्षम अभियंताओं की जरूरत है न कि प्रशासनिक अधिकारियों की. उ.प्र. राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर का कहना है कि निगम के अभियंता व कर्मचारी जनता को निर्बाध बिजली देने में सक्षम हैं। प्रबंधकीय पदों पर ऊर्जा निगमों में अभियंता कहीं से भी प्रशासनिक अधिकारियों के मुकाबले तकनीकी रूप से अधिक सक्षम हैं।
संयुक्त प्रबंध निदेशक का पद के सृजित हो जाने पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के विशेष सचिव स्तर के अधिकारी इन पदों पर तैनात किए जाएंगे। ये तीनों शहर मुख्यालय से दूर होने के साथ ही प्रदेश में अहम स्थान रखते हैं। माना जा रहा है कि पद सृजन के बाद संयुक्त प्रबंध निदेशक स्तर के अधिकारियों की तैनाती के बाद सरकार तीन नए वितरण निगमों की स्थापना करेगी। ऐसा होने पर प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों की संख्या पांच से बढ़कर आठ हो जाएगी।
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