इंडिया न्यूज, लखनऊ:
UP Vidhan Sabha Election 2022 यूपी विधान सभा के लिए चुनावी रण सज चुका है। पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को होना है। कौन किसकों वोट दे रहा है। इस पर लंबी चर्चा हो चुकी है। सवर्ण मतदाता खामोशी से चुनावी परिदृश्य पर नजर बनाए हुए है। हालात यह है कि स्वर्ण किसी भी उम्मीदवार या पार्टी का खेल बनाने और बिगाड़ने का माद्दा रखती हैं।
उत्तर प्रदेश की बात करें तो सवर्ण मतदाताओं की आबादी 26 फीसदी से ज्यादा है। इनमें सबसे ज्यादा 11 फीसदी से अधिक ब्राह्मण वोटर हैं। 9 फीसदी से ज्यादा क्षत्रिय मतदाता हैं। वैश्य मतदाता 6 प्रतिशत से अधिक और कायस्थ करीब 2 फीसदी हैं। शहरी सीटों पर वैश्य मतदाताओं की मौजूदगी ज्यादा है। ग्रामीण परिवेश में ब्राह्मण, क्षत्रिय, त्यागी, कायस्थ आदि मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है।
पश्चिमी यूपी के चुनावी बिसात को देखें तो दलों ने जिस तरह से सवर्ण प्रत्याशी उतारे उससे इनकी अहमियत स्पष्ट रूप से सामने आती है। मेरठ शहर सीट पर भाजपा ने इस बार ब्राह्मण पर दांव खेला है, तो कांग्रेस ने भी ब्राह्मण को ही यहां से उम्मीदवार बनाया है।
इस सीट पर पहले भी भाजपा की ओर से बड़ा चेहरा डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी चुनाव लड़ते रहे हैं। सरधना सीट पर इस बार तगड़ा मुकाबला है। यहां भी भाजपा ने मौजूदा विधायक संगीत सोम को ही चुनावी मैदान में उतारा है। उधर, बसपा ने कई सीटों पर इसी तरह का दांव चला है। मेरठ की कैंट और बागपत की बड़ौत सीट पर ब्राह्मण उम्मीदवार को उतारा गया है।
धौलाना सीट पर भी भाजपा ने ठाकुर पर दांव लगाया है। साहिबाबाद से तो भाजपा और रालोद-सपा गठबंधन यानी दोनों ने ही ब्राह्मण पर दांव खेला है। मोदीनगर सीट पर भी बसपा, गठबंधन और भाजपा तीनों का सवर्णों पर दांव है। कौल, अनूपशहर आदि सीटों पर भी भाजपा ने यही फॉमूर्ला इस्तेमाल किया है।
प्रदेश में गाजियाबाद, हमीरपुर, गौतमबुद्धनगर, प्रतापगढ़, बलिया, जौनपुर, गाजीपुर, फतेहपुर, बलरामपुर, गोंडा ठाकुरों की मौजूदगी अच्छी खासी है। वहीं, ब्राह्मणों की जिन जिलों में अच्छी खासी संख्या है, उनकी संख्या 24 से ज्यादा है। शामली, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, मुरादाबाद, मेरठ, बरेली, बागपत, आगरा, अमरोहा, गौतमबुद्धनगर सहित कई जिलों में सवर्णों की तादाद काफी है। पहले चरण के चुनाव की बात करें तो सवर्ण इन सीटों पर किसी का भी परिणाम बदल सकते हैं।
विधानसभा चुनाव 2017 की बात करें तो ज्यादातर सवर्ण जातियां भाजपा के साथ नजर आई थीं। यही कारण रहा कि इस बार जिन 11 जिलों की 58 सीटों पर पहले चरण में चुनाव हो रहा है, उनमें से 53 पर भगवा परचम फहराया था। भाजपा ने इस बार सवर्णों को साधने के लिए पहले दो चरणों की पहली सूची में ही 10 ब्राह्मणों और 18 ठाकुरों को टिकट देकर उन्हें खुश करने की कोशिश की।
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