Monday, July 8, 2024
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Shivratri: देश भर में मनाई जा रही शिवरात्रि, प्रयागराज के इस मंदिर की महिमा जान आप भी रह जाएंगे हैरान

प्रयागराज के पूर्व दिशा में दुर्वासा ऋषि का आश्रम है और पश्चिम में भारद्वाज ऋषि का आश्रम है।

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प्रयागराज: देश भर में आज शिव का महापर्व शिवारात्रि ( Shivratri ) की धूम है। देश भर के तमाम मंदिरों में भक्तों का तांता देखा जा रहा है। वहीं कई स्थानों पर शिव बारात निकाली जा रही है। बारात में भक्त सम्मिलित हो रहें हैं। आज संगम नगरी प्रयागराज में के पौराणिक पांडेश्वर धाम में लाखों की संख्या में श्रद्धालु भोले नाथ का जलाभिषेक कर रहे हैं। बात कि जाए तो यह मंदिर बेहद ऐतिहासिक है जिसकी एतिहासिकता द्वापर युग (महाभारत कालीन) से जुड़ी है।

पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान जब पाटिलपुत्र की यात्रा कर रहे थे तब वह इस क्षेत्र में आए थे,एक रात यहां रूके थे और भगवान श्री कृष्ण की सलाह पर उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की थी।

धुल जातें है पूर्व जन्म के पाप

मान्यता है कि पंचकोसी परिक्रमा करने से तीर्थराज के साथ ही सभी देवताओं ऋषियों सिद्धों और नागों के दर्शन का पुण्य फल एक साथ मिल जाता है। प्रयागराज के पूर्व दिशा में दुर्वासा ऋषि का आश्रम है और पश्चिम में भारद्वाज ऋषि का आश्रम है। उत्तर में पांडेश्व र महादेव स्थाषपित हैं और दक्षिण में पाराशर ऋषि की कुटिया बनी हुई है। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि यदि प्रयागराज पहुंचकर इन चारों स्थानों के दर्शन कर लिए जाएं तो प्रयाग की परिक्रमा पूरी मानी जाती है और व्यक्ति के पूर्व जन्म के पाप धुल जाते हैं। प्रयागराज की पंचकोसी परिक्रमा में इन चारों तीर्थ स्थारनों को शामिल किया जाता है।

विश्व के कोने से पहुंचते हैं भक्त

ऐसा माना जाता है कि पांडेश्वर धाम के 40 दिन लगातार दर्शन करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होती हैं।इसके साथ ही साथ यहां जल, दूध, शहद, दही नहीं बल्कि निशान चढ़ाने की परंपरा है।शिव के पर्व के दौरान यहां लोग दूर-दूर से बड़ी संख्या में निशान चढ़ाने आते हैं। इसके साथ ही सावन के महीने में कावंड़िया बहुत ही भारी संख्या में यहां पहुंचते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।

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