India News (इंडिया न्यूज) Akash Dubey, Mirzapur: प्रदेश का एक ऐसा विद्यालय जहां न छात्र है और न शिक्षक फिर भी हर दिन खुलता और बंद होता है विद्यालय। सुनकर चौंकिए मत यह सच्चाई है, यहां केवल दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी विद्यालय भवन को खोलते और बंद करते हैं। ”बेटी बढ़ाओ और बेटी पढ़ाओ” पढ़ाओ मुहिम को मुंह चिढ़ाता यह कन्या विद्यालय।
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त एक ऐसा विद्यालय बना जहां न छात्र हैं और न शिक्षक फिर भी हर दिन विद्यालय खुलता और बंद होता है। वर्ष 2017 में सभी शिक्षिकाओं के रिटायर होने के बाद नई नियुक्ति न होने से अध्यापन का कार्य बंद हो गया। अध्यापन के अभाव में छात्राओं ने भी स्कूल आना बंद कर दिया। वहीं स्कूल के दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नौकरी अभी भी है, जो हर दिन समय से आते हैं और विद्यालय को खोलते हैं व समय हो जाने पर स्कूल को बंद कर वापस घर चले जाते हैं।
नरायनपुर ब्लॉक के कोलना गांव में एक ऐसा सरकारी विद्यालय है जिसमें न तो छात्र हैं और न शिक्षक इसके बावजूद पांच वर्षों से विद्यालय लगातार संचालित हो रहा है। विद्यालय हर दिन खुलता है और बंद होता है। पांच वर्ष पहले 2017 में विद्यालय में 12 छ्त्राएं और एक शिक्षिका थीं, शिक्षिका के रिटायरमेंट के बाद छात्राएं भी नहीं आई।
विद्यालय में तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रामचंद्र दीक्षित बताते हैं कि शिक्षक की तैनाती और बच्चों का नामांकन कराने की जिम्मेदारी शासन की है। 2017 में शिक्षिका रिटायर होने के बाद यहां कोई नियुक्ति नहीं हुई बच्चे भी नहीं आते हैं। हम दो कर्मचारी हैं समय से आते हैं अपनी ड्यूटी करते हैं। हमारा कार्य विद्यालय की देखभाल करना है, उसे हम बखूबी निभा रहे हैं।
राजकीय जूनियर हाई स्कूल को 59 साल पहले की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के उद्देश्य से खोला गया था। क्षेत्र की लड़कियों को शिक्षा से जोड़कर उनके विकास को ध्यान में रखकर उस समय शिक्षा के क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले गांव के स्व. कृष्ण कुमार सिंह ने राजकीय विद्यालय खोलने के लिए अपनी 6 बीघा जमीन दी थी। राजगढ़ एवं चुनार विधान सभा क्षेत्र से 1952 से 1980 के बीच कई बार विधायक रहे कृष्ण कुमार सिंह के चचेरे भाई राज नारायण सिंह के सहयोग से राजकीय जूनियर हाई स्कूल की 1963 में स्थापना हुई थी ।
वर्ष 2017 में इस विद्यालय 12 बच्चे और एक शिक्षिका थी सेवानिवृत शिक्षिका रामश्वारी देवी 2017 में सेवानिवृत्त होने से पहले शासन को पत्र लिखकर विद्यालय में शिक्षक की नियुक्ति की मांग की थी। लेकिन उनके पत्र को शासन ने कोई कार्रवाई नहीं की गई। शिक्षिका रामश्वारी देवी के सेवानिवृत हो जाने के बाद से बच्चों ने भी विद्यालय आना पूरी तरह बंद कर दिया। उसके बाद से विद्यालय में किसी बच्चे का नामांकन भी नहीं हुआ।
इसके साथ ही शिक्षकों की तैनाती को लेकर गांव के ग्रामीणों ने भी शासन को कई पत्र लिखे लेकिन उनका कोई खास असर अभी तक नहीं दिखलाई पड़ा। जिले के अफसरों के साथ ही शासन को कई पत्र लिखकर विद्यालय में शिक्षकों के नियुक्ति की मांग की गई, लेकिन विभाग में बैठे अधिकारियों ने उनके पत्र पर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया। वहीं ग्रामीणों ने कहा कि विद्यालय में अच्छी पढ़ाई होती थी गांव की कई छात्राएं यहां से पढ़कर नौकरी कर रही हैं।
राजकीय विद्यालय के विशाल प्रांगण के बीच स्थाई हेलीपैठ बनाया गया है, जो अब रख रखाव के अभाव में टूट रहा है। यहां बड़े बड़े नेताओं के हेलीकॉप्टर लैंड करते थे। विधायक राज नारायण सिंह की देश प्रदेश में पकड़ थी। विद्यालय के बाउंड्री वॉल से लेकर भवन और पार्क सब धीरे-धीरे जर्जर हो रहा है। इसी तरह रहा तो आने वाले समय में एक दिन इसका नाम मिट जाएगा। ग्रामीणों की मांग है कि या तो इस विद्यालय को उच्चीकृत किया जाए, या इस भवन और जमीन का प्रयोग ट्रामा सेंटर अस्पताल बनाने में किया जाए, जिससे ग्रामीणों को लाभ मिल सके।
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