होम / Allahabad High Court News : आयकर विभाग आगरा पर 10 हजार रुपए का हर्जाना, जवाबदेह अधिकारी से हर्जाना राशि वसूली की छूट

Allahabad High Court News : आयकर विभाग आगरा पर 10 हजार रुपए का हर्जाना, जवाबदेह अधिकारी से हर्जाना राशि वसूली की छूट

• LAST UPDATED : August 17, 2023

India News (इंडिया न्यूज़) Amit Shrivastava Allahabad High Court News आगरा : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court News) ने प्रधान आयुक्त आयकर विभाग आगरा के नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत पारित आदेश को रद कर दिया है और 10 हजार रुपये हर्जाने के साथ याचिका स्वीकार कर ली है।

कोर्ट ने एक माह में हर्जाना राशि विधिक सेवा समिति में जमा करने का आदेश दिया और दोषी अधिकारियों से हर्जाना राशि की वसूली करने की छूट दी है।

हर्जाना जमा करने के लिए मिली तीन माह की अवधि

कोर्ट ने तीन माह में हर्जाना राशि जमा करने का अनुपालन हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने कहा प्रधान आयकर आयुक्त ने याची का पिछला मूल्यांकन आदेश को रद्द कर नई कार्रवाई शुरू करते समय आयकर अधिनियम 1961 की धारा 263 के तहत नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया।

इसलिए आदेश कायम रहने योग्य नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने मेसर्स एम एल चैन्स की याचिका पर दिया है।

आयुक्त् के सामने पेश होने का नहीं मिला मौका

आगरा की याची फर्म सोने के आभूषणों की कारोबारी है । आयकर अधिनियम की धारा 143 (3) के तहत मूल्यांकन पूरा किया गया । आयकर विभाग ने तर्क दिया कि पहले वाला मूल्यांकन राजस्व हित के प्रतिकूल था ।

इस आधार पर कर निर्धारण अधिकारी को नए सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया । उसमे कहा गया कि आयकर अधिनियम की धारा 263 के तहत प्रक्रिया का पालन आदेश पारित करने से पहले कभी नहीं किया गया था।

याची के अधिवक्ता को कभी भी प्रधान आयकर आयुक्त् के सामने पेश होने का मौका नहीं दिया गया। याची को अंतिम तिथि पर नोटिस प्राप्त हुआ।

एक साथ दो आदेश

इस मामले में स्थगन अर्जी दाखिल की गई लेकिन उस पर कोई विचार नहीं किया गया। इस तरह से नैसर्गिक न्याय का उल्लंघन किया गया। हालांकि, आयकर विभाग के अधिवक्ता ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के उल्लंघन से इंकार किया।

आगे कहा कि मूल्यांकन प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश राजस्व हित के लिए प्रतिकूल था। इसलिए रद्द कर नये सिरे से कार्यवाही का आदेश दिया गया है।कोर्ट ने कहा कि एक कंप्यूटर जनित आदेश और दूसरा मैनुअल आदेश।

प्रतिवादी प्राधिकरण की कार्यप्रणाली के बारे में गंभीर संदेह पैदा करता है। कोर्ट ने वर्लपूल कॉरपोरेशन बनाम रजिस्ट्रार ऑफ ट्रेड मार्क्स मुंबई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को आधार बनाया । कहा कि इसमें याची को बचाव के लिए कोई अवसर नहीं दिया गया।जब कि बचाव का मौका देना चाहिए था।

Also Read – Cricket News : एक कंपनी ने 1। 04 कैरेट असली हीरे से तैयार किया बल्ला, जानिए क्या है खासियत

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT
mail logo

Subscribe to receive the day's headlines from India News straight in your inbox