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राम मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष के बयान का ओवैसी ने दिया जवाब, बोले- मुस्लिम समुदाय को खुले तौर पर धमकी दे रहे

• LAST UPDATED : February 5, 2024

India News (इंडिया न्यूज़), Asaduddin Owaisi : श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि महाराज ने हाल ही में कहा था कि अगर हमें अयोध्या, ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि के तीन मंदिर शांति से मिल जाएं, तो हम अन्य मंदिरों की ओर नहीं देखेंगे। ये बयान राजनीतिक गलियारों में सुर्खियां बटोर रहा है. अब इस बयान पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने प्रतिक्रिया दी है।

मीडिया से बात करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने इस बयान को खुली धमकी बताया। उन्होंने कहा है कि ये सीधे तौर पर ब्लैकमेल है। वे खुलेआम मुस्लिम समुदाय को धमकी दे रहे हैं। यह एक प्रकार का ब्लैकमेल है कि अगर हमें वह नहीं दिया गया जो हम चाहते हैं, तो हम वही करेंगे जो हमने 6 दिसंबर 1992 को किया था। यह हिंसा का आह्वान है।

जब उनसे पूछा गया कि ये धमकी कैसे हुई? हिंदू पक्ष शांति से बात कर रहा है कि ये तीनों जगहें हमें सौंप दी जाएं। इस पर औवेसी ने कहा कि ये लोग झूठे हैं। झूठ बोलना इनका स्वभाव है। ऐसा वह पहले भी कर चुके हैं। ये कौन लोग हैं, जो मांग करते हैं? यह हिंदुत्व और बहुसंख्यकवाद की राजनीति है।

ओवैसी ने कहा कि बाबरी मस्जिद स्वामित्व मुकदमे के फैसले ने ज्ञानवापी पर अदालत के फैसले की नींव रखी। अगर आपने ज्ञानवापी को लेकर वाराणसी कोर्ट का 31 जनवरी का फैसला पढ़ा होगा तो आपने देखा होगा कि फैसला देने वाले जज उसी दिन रिटायर हो गए थे। उन्होंने बिना किसी बहस के यह फैसला सुनाया। उन्होंने बिना कोई कारण बताए ये फैसला सुनाया। यह फैसला पूरी तरह से गलत है।

ज्ञानवापी मामले पर फैसला गलत फैसला है। बाबरी मस्जिद मामले में तो खुदाई हुई लेकिन ज्ञानवापी मामले में सर्वे हुआ। उत्खनन और सर्वेक्षण में अंतर है। सुप्रीम कोर्ट में खुदाई रिपोर्ट को वैध नहीं माना गया था और कोर्ट ने साफ कहा था कि अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए कोई मंदिर नहीं तोड़ा गया था। ज्ञानवापी मामले में आप कह रहे हैं कि सर्वे कराया गया था। सर्वेक्षण और उत्खनन में अंतर है। हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण के लिए किसी भी मंदिर को नहीं तोड़ा गया। हम सर्वे रिपोर्ट को कोर्ट में चुनौती देंगे।

औवेसी ने कहा कि बाबरी मस्जिद मामले में हमसे कहा गया कि यहां नमाज ही नहीं पढ़ेंगे तो अधिकार कैसे मिलेगा? लेकिन ज्ञानवापी के मामले में मुसलमान वहां लगातार नमाज पढ़ते रहे हैं। 1993 के बाद से वहां कोई पूजा नहीं हुई. तो एक तरह से यह दोहरा दृष्टिकोण था। अगर हम कल राष्ट्रपति भवन की खुदाई शुरू करें तो हमें वहां भी कुछ न कुछ मिलेगा। तो क्या हमें उस आधार पर वहां अपना दावा करना चाहिए?

एआईएमआईएम चीफ ने कहा कि हम एक बार धोखा खा चुके हैं, हम खुद को दोबारा धोखा नहीं खाने देंगे। यदि एक पक्ष छह दिसंबर दोहराना चाहेगा तो हम देखेंगे। हम कानून में विश्वास करते हैं। हम कानूनी रास्ता अपनाएंगे। लेकिन ये साफ है कि हम देश की किसी भी मस्जिद पर अपना दावा नहीं छोड़ेंगे।

उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 32 का पालन किया जाए। जहां तक इस देश के मुसलमानों की बात है तो हमें इस देश के प्रधानमंत्री पर कोई भरोसा नहीं है। क्योंकि प्रधानमंत्री एक विशेष विचारधारा के आधार पर अपना संवैधानिक कर्तव्य निभा रहे हैं, जो हमें बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है।

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