Atiq Ahmed : उमेश पाल हत्याकांड का आरोपी असद और गुलाम के एनकाउंटर के ठीक दो दिन बाद असद के पिता और माफिया डॉन अतीक अहमद के साथ उसके भाई अशरफ की भी हत्या कर दी गई है।
दोनों को मेडिकल चेकअप के लिए कॉल्विन अस्पताल ले जाया जा रहा था। उसी वक्त दोनों कि गोली मर कर हत्या कर दी गयी।
बताया जा रहा है कि इस दौरान हमलावरों ने जय श्री राम के नारे भी लगाए। अतीक और अशरफ की हत्या करने वाले तीन हमलावरों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
हम आपको बातएंगे कि अतीक अहमद कैसे उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य का माफिया डॉन बन गया। अतीक के 44 सालों के अपराध की पूरी कहानी महज एक मिनट में पूरी तरह खत्म हो गई।
आज से करीब 44 साल पहले 1979 में अतीक अहमद की आपराधिक कहानी का आगाज हुआ था। उस वक्त इलाहाबाद के चाकिया मोहल्ले में तांगा चलाने वाला एक परिवार रहता था। जो फिरोज अहमद का परिवार था।
फिरोज का बेटा अतीक हाईस्कूल में फेल हो गया था। इसके बाद पढ़ाई लिखाई से उसका मन नहीं लगता था। जिसके बाद उसे अमीर बनने का चस्का लग गया। इसलिए वो गलत धंधे में पड़ गया और रंगदारी वसूलने लगा।
अतीक अहमद के सिर महज 17 साल की उम्र में ही हत्या का आरोप लग चुका था। उस समय पुराने शहर में चांद बाबा का दौर था। जिसको पुलिस और नेता दोनों चांद बाबा के खौफ को खत्म करना चाहते थे।
लिहाजा, अतीक अहमद को पुलिस और नेताओं का साथ मिला। लेकिन आगे चलकर अतीक अहमद, चांद बाबा से ज्यादा खतरनाक अपराधी बन गया।
इसके बाद जून 1995 में अतीक का नाम लखनऊ गेस्ट हाउस कांड में भी सामने आया था। अतीक इस कांड के मुख्य आरोपियों था, जिसने मायावती पर हमला किया था। मायावती ने गेस्ट हाउस कांड के कई आरोपियों को माफ कर दिया था, लेकिन अतीक अहमद को नहीं माफ़ किया था।
जिसके बाद मायावती सत्ता में आ गई और फिर अतीक अहमद की उल्टी गिनती शुरू हो गई। मायावती शासन काल में अतीक अहमद पर कानूनी शिकंजा कसने के साथ-साथ उसकी संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने से लेकर कई बड़ी कार्रवाई कि गई थी।
यूपी में मायावती सरकार के दौरान अतीक अहमद जेल की सलाखों के पीछे ही रहा। बसपा के दौर में मायावती ने अतीक का दफ्तर गिरवाने के साथ-साथ उसकी संपत्तियां जब्त करवा कर उसे जेल भेजा गया था।
मायावती के शासन में उसकी राजनीतिक पकड़ को कमजोर ही नहीं बल्कि पूरी तरह से ख़त्म कर दिया गया था।
इस हमले और हत्याकांड को समझने के लिए हमें करीब 19 साल पीछे जाना होगा। देश में आम चुनाव हो चुका था। यूपी की फूलपुर लोकसभा सीट से बाहुबली नेता अतीक अहमद ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत भी हासिल कर ली थी।
बता दे, इससे पहले अतीक अहमद इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से विधायक था। लेकिन उनके सांसद बन जाने के बाद वो सीट खाली हो गई। जिस वजह से कुछ दिनों बाद उपचुनाव होना सुनिश्चित किया गया।
इस सीट पर अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ को उम्मीदवार उतारा गया। लेकिन बहुजन समाज पार्टी ने उसके खिलाफ राजू पाल को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतार दिया।
जिसके बाद उपचुनाव के नतीजे सामने आए जो चौंकाने वाले थे। उस चुनाव में बसपा प्रत्याशी राजू पाल ने अशरफ को हरा दिया था।
इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस में उमेश पाल एक अहम चश्मदीद गवाह था। जब केस की छानबीन आगे बढ़ी तो उमेश पाल को धमकियां मिलने लगी थीं। उसने अपनी जान खतरा बताते हुए पुलिस और कोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई थी। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर उमेश पाल को यूपी पुलिस की तरफ से सुरक्षा मिली।
6 अप्रैल 2005 को विधायक राजूपाल हत्याकांज की जांच में पुलिस ने रात दिन एक कर दिया था। पुलिस ने इस हत्याकांड की विवेचना करने के बाद तत्कालीन सपा सांसद अतीक अहमद और उनके भाई समेत 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
22 जनवरी 2016 को सीबी-सीआईडी की जांच से भी राजू पाल का परिवार खुश नहीं था। जिसके बाद निराश होकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस मामले को सुनने के बाद देश की सबसे बड़ी अदालत ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फरमान सुनाया था।
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राजू पाल हत्याकांड में नए सिरे से मामला दर्ज किया और छाबनीन शुरू कर दी। करीब तीन साल विवेचना करने के बाद सीबीआई ने सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
1 अक्टूबर 2022 को दिवंगत विधायक राजू पाल हत्याकांड की सुनवाई करते हुए सीबीआई कोर्ट की स्पेशल जज कविता मिश्रा ने छह आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए।
इस हत्याकांड में पूर्व सांसद अतीक अहमद के भाई पूर्व विधायक अशरफ सहित अन्य लोग शामिल थे। सभी आरोपियों के खिलाफ हत्या की साजिश और हत्या के प्रयास में आरोप तय किया गया।
हालांकि, कोर्ट के सामने आरोपियों ने आरोपों से इनकार करते हुए ट्रायल की मांग की थी। इस मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट में आरोपी अशरफ और फरहान को जेल से लाकर पेश किया गया था।
जबकि जमानत पर चल रहे रंजीत पाल, आबिद, इसरार अहमद और जुनैद खुद आकर कोर्ट में पेश हुए थे।
24 फरवरी 2023 को उमेश पाल कि हत्या कर दी गई। जो प्रयागराज के राजूपाल हत्याकांड का अहम चश्मदीद गवाह था। उमेश की गवाही पर ही बाहुबली अतीक अहमद समेत सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। उमेश पाल को पहले भी धमकियां मिली थी।
यही वजह है कि उसे यूपी पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर दो सुरक्षाकर्मी यानी गनर दिय थे। 24 फरवरी को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में उमेश पाल पर पूरी तैयारी के साथ जानलेवा हमला किया गया और उसे मौत के घाट उतर दिया।
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