Awadhesh Rai Murder Case: माफिया डॉन मुख्तार अंसारी(Mafia Don Mukhtar Ansari) का नाम सामने आते ही बड़ों बड़ों को पसीना आ जाता है लेकिन आज उसी मुख्तार अंसारी(Mukhtar Ansari) को बनारस के चर्चित अवधेश राय हत्याकांड(Awadhesh Rai murder case) में सजा का डर सता रहा है। वैसे तो कुख्यात माफ़िया मुख़्तार की फेरहिस्त काफी लंबी है लेकिन बात वाराणसी की करें तो बनारस में भी इस माफिया के खिलाफ कई मुकदमें दर्ज हैं। जिसमें गाजीपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी आलोक रंजन(District Magistrate Alok Ranjan) व तत्कालीन एसपी देवराज नागर (SP Devraj Nagar) के फर्जी हस्ताक्षर करवा के शस्त्र लाइसेंस के लिए संस्तुति करवाने, जिसमें वहाँ के डीएम व एसपी कार्यालय के कर्मचारियों की भी संलिप्तता थी। इसलिए बनारस(Banaras) की एन्टी करप्शन टीम ने उस मामले में यहां अभियोग पंजीकृत करवाया था और उसकी जांच भी सीबीसीआईडी कर रही है।
माफिया मुख्तार अंसारी के बारे में कहा जाता है कि उसका निशाना बहुत ही अचूक होता है। जिसका उदाहरण यूपी पुलिस के दीवान राजेंद्र सिंह की हत्या थी। माफिया मुख्तार अंसारी ने बनारस के ट्रैफिक पुलिस लाइन में घुसकर चलती गाड़ी में बैठकर दीवान राजेंद्र सिंह(Dewan Rajendra Singh) की गोली मारकर हत्या कर दी थी। 3 अगस्त 1991 को दिनदहाड़े गोली मारकर अवधेश राय की हत्या कर दी गई थी। जिसका आरोप भी माफिया मुख्तार अंसारी एवं पांच अन्य पर लगा था। बताया जाता है कि अवधेश राय अपने लहुराबीर स्थित घर के गेट पर खड़े थे कि मुख्तार अंसारी के साथ आये लोगों ने गोलियों की बौछार कर अवधेश राय की हत्या कर दी और असलहा लहराते हुए आराम से निकल गए।
वहीं अवधेश राय के छोटे भाई पूर्व विधायक अजय राय(Former MLA Ajay Rai) जो कि इस मामले में मुकदमा वादी भी हैं ने इंडिया न्यूज के कैमरे पर कहा कि लगभग 32 वर्षों से हमारा परिवार न्याय पाने के लिए इस लड़ाई को लड़ रहा है और अब मामले की सुनवाई अंतिम चरण में चल रही है और मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। अजय राय ने कहा कि मुख्तार अंसारी को फांसी से कम की सजा नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम, हमारा परिवार व बच्चे 32 वर्षों से इसका इंतजार कर रहे हैं। वहीं माफिया विरोधी मंच के अध्यक्ष सुधीर सिंह ने कहा कि मुख्तार अंसारी बहुत ही दुर्दांत अपराधी है। सुधीर सिंह का कहना है कि मुख्तार अंसारी आतातायी ही नहीं वो बहुत बड़ा आतंकवादी भी है। वो और उसके लोगों ने सैकडों लोगों की हत्या की है। सुधीर सिंह ने कहा कि, मुख्तार अंसारी ने जितनी भी हत्याएं की हैं वो सभी हिंदुओ की, की है।
जनवरी 1997 में एक बार फिर से माफिया मुख्तार अंसारी का नाम सुर्खियों में आया। जब प्रमुख कोयला व्यापारी नन्द किशोर रूंगटा का अपहरण(Kidnapping of businessman Nand Kishore Rungta) फिरौती के लिए कर लिया गया। रूंगटा अपहरण कांड में भी माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था लेकिन आज तक रूंगटा का पता नहीं चल सका। हालांकि कोयला व्यापारी रूंगटा के हुए अपहरण के मामले की सीबीआई जांच भी हुई लेकिन अपने रसूख और खौफ के चलते माफ़िया मुख्तार अंसारी साफ बरी हो गया।
इधर मुकदमा अपराध संख्या 229/91 में सरकार बनाम मुख्तार अंसारी मामले में मुकदमा, मृतक अवधेश राय के भाई अजय राय ने करवाया था। केस ट्रायल की बात करें तो इसका नम्बर नवंबर 2007 में आया। 23 नवंबर 2007 को इस मुकदमे की सुनवाई हो रही थी जिसमे मुकदमा वादी अजय राय भी उपस्थित थे लेकिन सुनवाई के दौरान ही कचहरी परिसर में बम विस्फोट हो गया और मुकदमे की सुनवाई स्थगित कर दी गई। कड़ी सुरक्षा में वादी मुकदमा अजय राय को कचहरी परिसर से सुरक्षित बाहर निकाला गया। इसी बीच अवधेश राय की हत्या में कुल 6 आरोपियों में से दो, राकेश न्यायिक व भीम सिंह ने अपनी पत्रावलियों को हाई कोर्ट में स्थानांतरित करवा लिया। माफिया मुख्तार अंसारी का इतना प्रभाव था कि अदालत में 2007 से लेकर 2021 तक कोई भी साक्ष्य अंकित नहीं कराया जा सका। प्रदेश की योगी सरकार की तरफ से अभियोजन पक्ष ने इस केस में तेजी लायी और 2022 से अवधेश राय हत्याकांड में चल रही लगातार सुनवाई में मुकदमा वादी अजय राय, चश्मदीद गवाह रहे विजय पाण्डेय उर्फ “बिज्जू गुरु”, तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक थाना चेतगंज उदयभान सिंह, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर सी.डी. त्रिपाठी का बयान अंकित किया गया। द्वितीय विवेचनाधिकारी, प्रभारी निरीक्षक थाना चेतगंज कृपाशंकर शुक्ला एवं एक अन्य साक्षी की गवाही हुई, इस प्रकार कुल 6 महत्वपूर्ण गवाहों के साक्ष्य अंकित कराए गए। वहीं बचाव पक्ष की तरफ से मुख्तार अंसारी के बचाव में भी 6 गवाहों को प्रस्तुत करने को कहा गया। न्यायालय में प्रस्तुत होने वाले में मुख्तार अंसारी के भाई पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी, दूसरे गवाह रामजी राय एवं 4 अन्य गवाहों को बुलाया गया। मृतक अवधेश राय व उनके भाई अजय राय के आपराधिक मामलों की जानकारी के लिए बनारस के थाना चेतगंज, थाना सिगरा, थाना कैन्ट एवं थाना शिवपुर से ब्यौरा मांगा गया। महत्वपूर्ण और गौर करने वाली बात यह है कि इतने पुराने मामले में 2022 में जाकर सुनवाई हुई, जिससे समझ में आता है कि माफिया मुख्तार अंसारी का कितना रसूख है कि इतने पुराने मामले में समुचित सुनवाई होने में तीन दशक से ज्यादा समय लग गए। 2022 में कोविड काल मे पहला वाकया था जब बनारस में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आरोपी मुख़्तार अंसारी बाँदा जेल से तो वहीं तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक थाना चेतगंज उदयभान सिंह जो कि अस्पताल में अपनी रीढ़ की हड्डी का इलाज कराने के लिए भर्ती थे वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में उपस्थित थे और वहीं से अपना बयान दर्ज करवाया।
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