India News (इंडिया न्यूज़) Bahujan Samaj Party लखनऊ : बसपा सुप्रीमो मायावती जो अपनी बाउंस बैंक राजनीतिक पैंतरों के लिए जानी जाती रही है। अब परिवार बाद के चक्कर में फँस गयी है।
जहाँ उनके बाद पार्टी में नम्बर दो और तीन कौन रहेगा ये तो तय उन्होंने कर दिया। लेकिन फिर भी उसके बाद पार्टी की स्काई लग भूमिकाओं में भी अपने अपनो का चयन करना मजबूरी दिख रही है।
कभी परिवारवाद का तंज दूसरे दलो पर कसने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती आज उसी आरोप का अधिकार हो गई है। जून में अपने भतीजे जिससे वो अपने उत्तराधिकारी के रूप में भी समय समय पर प्रोजेक्ट करती नज़र आई है।
भतीजे को 4 राज्यों का चुनाव प्रभारी भी बनाती है जहाँ चुनाव जल्द ही होने है जिसमें मध्य प्रदेश , राजस्थान , छत्तीसगढ़ और तेलंगाना शामिल है।
इससे पहले मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार को 2019 में नेशनल coordinator बनाया। भाई और भतीजे के बाद अब भतीजे के ससुर और पूर्व राज्य सभा सांसद डाक्टर अशोक सिद्धार्थ को कुल 10 राज्यों की कमान सौंप दी गयी है। हालाँकि की पार्टी में अंदर खाने चर्चा है की ऐसा बसपा सुप्रीमो ने आकाश की मदत के लिए किया है।
हालाँकि 2022 में अशोक सिद्धार्थ को बसपा सुप्रीमो यूपी के कई मंडलो की ज़िम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन विधानसभा चुनाव के निराशाजनक नतीजों के बाद उनसे वो ज़िम्मेदारी वापस लेकर उन्हें दूसरे राज्य भेज दिया गया था ।
पार्टी में ऐसा ही क़द सतीश चंद्र मिश्रा का भी हुआ करता था जब उनसे पूछे बिना कोई फ़ैसला नही लिया जाता था। हालाँकि अभी भी वो पार्टी की बैठकों में पहली लाइन में बैठते है लेकिन पहले जैसा क़द नही रहा है ।
वही भाजपा प्रवक्ता आलोक वर्मा का कहना है कि बसपा सिर्फ़ परिवारवादी कर रही है। तभी पहले भाई और भतीजे और उसके बाद भतीजे के ससुर को धीरे – धीरे पार्टी कि रिमोट कंट्रोल थमाया जा रहा है ।
समाजवादी जहाँ लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर राजेश में राजनैतिक जोड़ तोड़ में लगी वही सपा प्रवक्ता मनोज यादव का कहना है कि ये बसपा का निजी मामला है। उनकी पार्टी में वो क्या करते है वही तय करेंगे ।
वही कांग्रेस प्रवक्ता सचिन रावत का कहना है कि जिस पार्टी की नीव कांशीराम जी ने रखी जो खुद परिवारवाद के विरोधी थे इसी लिए अपने बाद पार्टी में अपने परिवार के सदस्य को नही बल्कि मायावती को ज़िम्मेदारी सौंपी उनकी बनाई हुई पार्टी में आज परिवार वाद खुल के हो रहा है ।
वही, बसपा में जहाँ मायावती ने अपने उत्तराधिकारी और पार्टी में बड़ी ज़िम्मेदारियों के लिये भाई और उनके समधी को चुना है। वही इससे अंदरूनी तौर पर पार्टी में पुराने वक़्थ से नम्बर दो की जगह रखने वाले सतीश चंद्र मिश्रा को लेकर पार्टी अंदर खाने परिवार वाद और निष्ठावान की बातें हो रही है।
हर बार अपने कड़े फ़ैसलों को लिए जानी जाती बसपा सुप्रीमो मायावती देखना होगा। इस परिवार वाद के झनझावात से बचने का क्या रास्ता निकालती है ।
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