Encephalitis in UP : मौत का पर्याय बन चुकी इंसेफेलाइटिस पर योगी सरकार ने कसी नकेल, कहा – आज 95 फीसदी मौतों पर लगा अंकुश

(Yogi government tightens crackdown on encephalitis which has become synonymous with death): उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पूर्वांचल में इंसेफलाइटिस (Encephalitis in UP) जैसी घातक बीमारी को लेकर लगातार क्रांतिकारी सुधार देखने को मिल रहे हैं।

  • गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में मिली सुविधा
  • बीमारी के आंकड़ों में भारी कमी देखने को मिली
  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इंतजाम किए
  • क्या है कुल आकड़े ?

गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में मिली सुविधा

उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों से समूचे पूर्वांचल के लिए अभिशाप मानी जाने वाली इस बीमारी में भारी कमी आई है। कई दशकों से हर साल हजारों बच्चों की इस जानलेवा बीमारी से एक तरफ जहां मौत हो जाती थी।

वहीं प्रदेश में योगी सरकार के आने के बाद से गोरखपुर मेडिकल कॉलेज सहित पूर्वांचल के सभी जिलों में बेहतर इलाज की व्यवस्था के साथ ही शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में दस्तक अभियान, स्वच्छता, शौचालय सहित अन्य जागरूकता के उपाय किए गए।

बीमारी के आंकड़ों में भारी कमी देखने को मिली

अगर महाराजगंज जनपद की बात की जाए तो मार्च के अंतिम सप्ताह से ही हर वर्ष इंसेफेलाइटिस के मरीजों की आमद शुरू हो जाती थी। जनपद के जिला अस्पताल सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भारी संख्या में इंसेफलाइटिस के मरीज देखे जा सकते थे।

लेकिन वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी ने इस बीमारी का कारण ढूंढ कर स्वास्थ्य विभाग, पंचायती राज, जल निगम, पशुपालन विभाग, शिक्षा विभाग सहित कुल 11 विभागों को जोड़कर इस बीमारी के खिलाफ एक जागरूकता अभियान चलाया।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इंतजाम किए

सीएम की पहल पर स्वास्थ्य विभाग ने दस्तक योजना के तहत घर-घर जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच के साथ-साथ इस बीमारी से बचाव के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ ही जिला अस्पताल सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और बीआरडी मेडिकल कॉलेज तक चिकित्सा के बेहतर इंतजाम किए गए जिससे इस घातक बीमारी में भारी कमी आई।

क्या है कुल आकड़े ?

महाराजगंज जनपद में इंसेफेलाइटिस के मरीजों की अगर बात करें तो 2016 में 390 केस दर्ज किए गए जिसमें से 70 बच्चों की मौत हो गई थी। वहीं 2017 में 437 मरीज दर्ज किए गए जिसमें से 68 बच्चों की मौत हुई। 2018 में 252 मरीज दर्ज किए गए जिसमें से 26 बच्चों की मौत हुई।

2019 में 189 केस दर्ज किए गए जिसमें से 15 बच्चों की मौत हुई। 2020 में 185 केस दर्ज किए गए जिसमें 12 बच्चों की मौत हुई। 2021 में 177 मरीज दर्ज किए गए जिसमें से 9 बच्चों की मौत हुई।

2022 में 85 केस दर्ज किए गए जिसमें से 4 बच्चों की मौत हुई और 2023 में कुल 28 केस अभी तक दर्ज किए गए हैं जिसमें से 1 बच्चे की मौत हुई है स्वास्थ्य विभाग का बताना है कि जिला अस्पताल सहित जनपद के सभी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इंसेफेलाइटिस के मरीजों के लिए बेहतर इलाज की व्यवस्था की गई है आवश्यक दवाओं के साथ ही बेहतर उपकरणों के भी इंतजाम किए गए हैं।

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Anubhaw Mani Tripathi

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