India News UP ( इंडिया न्यूज ),UP Newsकाशी जिसे भगवान् शिव की नगरी भी कहते है। काशी दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है।यहाँ शिव जी के कई प्राचीन मंदिर है। उन्ही में से एक है गौरी केदारेश्वर मंदिर।ऐसी मान्यता है की यहाँ दर्शन करने से केदारनाथ से भी ज्यादा पुण्य मिलते है। कहा जाता है की ये शिवलिंग यहाँ स्वयं ही प्रकट हुआ था। जो की सोनारपुरा रोड के पास केदार घाट पर स्तिथ है।
आपने कई शिवलिंग देखे होंगे पर काशी के इस शिवलिंग की बात ही कुछ और है। यह शिवलिंग आमतौर पर दिखने वाले अन्य शिवलिंगो से काफी अलग है। ये शिवलिंग दो भागो में बटा है।जिसके एक भाग में भगवान शिव माता गौरी के साथ विद्यमान है वही दूसरे भाग में भगवान विष्णु माता लक्ष्मी के साथ वास् करते है। यहाँ पूजा करने की विधि भी बहुत अलग है। यहाँ पुजारी बिना सिला हुआ वस्त्र पहन कर चार पहर की आरती करते है. यहाँ बेलपत्र, दूध गंगाजल के साथ-साथ भोग में खिचड़ी जरूर लगाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव स्वयं यहाँ भोग ग्रहण करने आते हैं।
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जाने पौराणिक मान्यता
पुराणों के अनुसार ऋषि मान्धाता भगवान शिव के भक्त थे। ऋषि रोज़ अपनी तपस्या के बाद भोग के लिए खिचड़ी निकल कर रख देते। खिचड़ी निकलने के बाद वे उसे दो हिस्सों में अलग कर देते। जिसमे से वे एक हिस्सा लेकर भगवान शिव को खिलने कैलाश जाते। और बचे एक हिस्से को भी दो भागो में बाट एक हिस्सा स्वयं खाते और एक आने वाले अतिथियों को को खिलाते। मान्धाता कई समय तक ऐसा ही करते रहे। फिर एक दिन वृद्धावस्था के कारण ऋषि भगवान को खिचड़ी खिलने कैलाश नहीं जा पाए।
ऋषि भगवान शिव भोग नहीं खिला पाए इस बात उन्हें बहुत दुख हुआ और वे मूर्छित हो गए। तब माता गौरी और भगवन शिव स्वयं वहां प्रकट हुए और ऋषि की बनाई खिचड़ी को ग्रहण किया।भगवान शिव ने मान्धाता ऋषि को उठया और अपने हाथो से उन्हें खिचड़ी खिलाई।भगवान शिव ने मान्धाता ऋषि को आशीर्वाद दिया कि आज से मैं यहाँ गौरी केदारेश्वर के रूप में वास करूँगा और शिवलिंग के स्वरुप में मझे पूजा जायेगा।
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