India न्यूज़ (इंडिया न्यूज़) Government Action लखनऊ : देश की आबादी के साथ-साथ प्रदेश की भी आबादी तेजी से बढ़ रही है। अगर हम उत्तर प्रदेश की बात करें तो वर्तमान में लगभग 25 करोड़ों की जनसंख्या है।
1950 के दशक में नागरिकों के लिए गांव और शहरों में कुछ महत्वपूर्ण व्यवस्थाएं दी गई थी, जो उस वक्त की आबादी और संसाधनों को ध्यान में रखकर की गई थी। परंतु उन व्यवस्थाओं में किसी तरह की बढ़ोतरी तो दूर की बात जो व्यवस्थाएं थी वह भी धरातल पर दिखाई नहीं दे रही हैं।
अगर हम गांव की बात करें तो राजस्व अभिलेखों के अनुसार गांवों में चारागाह, तालाब, सरकारी चकमार्ग, पर्ती भूमि, ऊसर भूमि, सरकारी नाली, खेल के मैदान, सार्वजनिक कार्य के लिए ग्राम सभा की भूमि, वनभूमि आदि कागजों एवं सरकारी नक्शों में दर्ज थी। लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई वैसे-वैसे इन सरकारी जमीनों पर लोगों की दृष्टि पड़ी और इन संसाधनों पर कब्जा करते गए।
जबकि आजादी के बाद उतने संसाधन नहीं थे। किसानों व नागरिकों के पास, सिर्फ खच्चर बैल, घोड़ा, साइकल आदि हुआ करते थे। उस हिसाब से रास्तों का निर्धारण किया गया था, परंतु आज के हिसाब से तो इन रास्तों को अपडेट करते हुए और शुगम एवं चौड़ा होना चाहिए, परंतु यह ना हो करके और सिकुड़ता गया।
साल 2016 तक राजस्व दस्तावेजों के अनुसार 1947 में तालाबों, पोखर, झीलों और कुओं के रूप में जल के 8.91 लाख प्राकृतिक स्रोतों का ब्योरा दर्ज था। अनियोजित विकास के कुचक्र ने मानव अस्तित्व के लिए गंभीर संकट पैदा कर दिया है।
राजस्व परिषद की रिपोर्ट के मुताबिक गुजरे 68 वर्ष से ज्यादा की समयावधि में अभिलेखों में दर्ज जल स्रोतों की संख्या घटकर 8.22 लाख रह गई है। 68 वर्ष में जल के 68 हजार से ज्यादा प्राकृतिक स्रोतों का नाम-ओ-निशान मिट चुका है। इस तथ्य को औसत की कसौटी पर परखें तो आजादी के बाद से अब तक हर साल प्रदेश में 1000 जल स्रोत अपना वजूद खोते रहे।
प्रदेश में जल के प्राकृतिक स्रोत पर भू-माफिया की कुदृष्टि किस कदर जमी हुई है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि 110950 तालाबों, पोखरों, झीलों व कुओं पर अवैध कब्जे पाये गए जिनका कुल क्षेत्रफल 18491 एकड़ है।
सरकारी अभियानों के दौरान इनमें से लगभग 70 हजार जल स्रोतों को अवैध कब्जे से मुक्ति दिलाने का दावा किया गया है। बाकी 40 हजार जल भंडार अब भी अवैध कब्जे की गिरफ्त में हैं।
अस्तित्व की लड़ाई हारते प्राकृतिक जल स्रोतों के विलुप्त होने की वजह से पानी के इन भंडारों का दायरा भी कम हुआ है। आजादी के समय जल के इन भंडारों का कुल क्षेत्रफल 547046.9 एकड़ था जो अब घटकर 546216.9 एकड़ है। इस हिसाब से जल भंडारों का क्षेत्रफल 830 एकड़ घटा है।
हालांकि यह विषय बहुत ही गंभीर है और इसकी गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार काम कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार पर्यावरण के प्रति बहुत जागरूक है, लगातार प्रदेश भर में वृक्षारोपण किए जा रहे हैं, अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं, जल स्रोतों को पुनर्जीवित किया जा रहा है, वन क्षेत्र को बढ़ाया जा रहा है, हरियाली पर ध्यान दिया जा रहा है, प्राकृतिक संसाधनों को सृजित किया जा रहा है, पर्यावरण को संतुलित करने के लिए तमाम अभियान यूपी सरकार चला रही है।
इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं ग्रामीण विकास मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि प्रदेश भर में चारागाह, चक मार्गो, व तालाबों आदि पर किए गए अवैध कब्जों को हटवाया जाय।
साथ ही ग्राम चौपालों में ग्रामीणों की समस्यायों का त्वरित समाधान भी किया जाय।यूपी सरकार ने अमृत सरोवर योजनान्तर्गत जनपद में कुल 240 तालाबों का चिन्हीकरण करते हुए 122 अमृत सरोवरों पर 15 अगस्त 2022 तक ध्वजारोहण का कार्यक्रम सम्पन्न कराया है और अमृत सरोवरों पर कार्य निरंतर प्रगति पर है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक मुकदमें में सरकार को अवैध कब्जों, पानी के प्राकृतिक स्रोतों को उनके पुराने स्वरूप में बहाल करने का आदेश दे चुका है। इलाहाबाद हाईकोर्ट भी इस संदर्भ में शासन को फटकार लगाते हुए निर्देश दिया है।
कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश की सरकार पर्यावरण के प्रति जागरूक है और इस पर निरंतर कार्य कर रही है साथ ही गांव हो या शहर सरकारी भूमि पर जो कब्जा हुआ है उसको हटाने के लिए लगातार काम कर रही है और अधिकारियों को निर्देशित भी कर रही है।
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