India News (इंडिया न्यूज़),Hearing on Gyanvapi case completed: ज्ञानवापी – श्रृंगार गौरी प्रकरण में शैलेंद्र कुमार पाठक (व्यास परिवार) की तरफ से सिविल जज के यहां सिविल कोर्ट में डाला गया था। जिसमें कहा गया था कि 1993 तक व्यास परिवार ज्ञानवापी परिसर में पूजा कर रहा था। 1993 में पूजा पर रोक लगा दी गई थी। जिसके बाद वहां पूजा बंद हो गयी। साथ ही उसमें यह भी कहा गया है कि मुस्लिम पक्ष व्यास तहखाना को कब्जा कर सकता है। व्यास परिवार की मांग है कि व्यास तहखाना की चाबी को जिलाधिकारी को सौप दिया जाए।
मामले में जिला जज के यहां ट्रांसफर एप्लीकेशन भी डाला गया था। जिसमें कहा गया है कि ज्ञानवापी प्रकरण के सारे मामले की सुनवाई जिला जज के यहां चल रही हैं, तो इस मामले को भी जिला जज के यहां ही सुना जाए। आज इसी पर सुनवाई हुई, काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के तरफ से अधिवक्ता हाजिर हुए और अपनी सहमति दी। जिला जज ने अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया है। ट्रांसफर एप्लीकेशन पर 4 अक्टूबर को आदेश आएगा। 4 अक्टूबर को यह निर्णय होगा कि इस केस को जिला जज सुनेंगे या नहीं।
बता दें कि आज जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट में दो मामलों की सुनवाई होनी थी। पहला मुकदमा शैलेन्द्र व्यास की ओर से दायर किया गया था। उन्होंने व्यास जी के तहखाने को डीएम को सौंपकर पूजा करने की अनुमति देने की मांग की।
अधिवक्ता सुभाषनंदन चतुर्वेदी और सुधीर त्रिपाठी ने मामले को हायर डिवीजन सिविल जज से जिला मजिस्ट्रेट की अदालत में स्थानांतरित करने की मांग की। जिस पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से आपत्ति जताई गई। उम्मीद थी कि विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट शुक्रवार को अपना पक्ष रखेगा, लेकिन उनके वकील रवि कुमार पांडे ने कहा कि अभी ममाले को समय दिया जाना चाहिए क्योंकि अभी हमने वाद का अध्ययन नहीं किया। इसके साथ ही कोर्ट ने शनिवार को सुनवाई करने का फैसला किया।
इसके साथ ही बहुचर्चित ज्ञानवापी परिसर में अधिवक्ता आयुक्त की पूछताछ के दौरान सामने आए शिवलिंग जैसी आकृति की पूजा और राग भोग के मामले को ट्रांसफर करने पर पिछले वर्ष सुनवाई होनी थी। जिसके बाद कोर्ट ने 30 सितंबर की तारीख तय की। हम आपको बता दें कि यह मुकदमा शैलेन्द्र सिंह योगीराज की ओर से दायर किया गया था।
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