India News (इंडिया न्यूज), Maa Kushmanda: नवरात्रि के चौथे दिन आदिशक्ति भवानी के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि मां कूष्मांडा को सौरमंडर की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। देवी कूष्मांडा की कृपा से साधक को रोग, शोक और सभी अभावों से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है।
मां कूष्मांडा को अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। उनके हाथों में धनुष, बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल चित्रित हैं। ऐसा कहा जाता है कि सृष्टि की रचना से पहले जब हर तरफ घना अंधकार था, तब देवी के इसी रूप से ब्रह्मांड की रचना हुई थी। मां कूष्मांडा का अर्थ है कुम्हड़ा वह फल जिससे पेठा बनता है। कुम्हड़ा की बलि देने से देवी कूष्मांडा अत्यंत प्रसन्न होती हैं।
देवी कूष्मांडा की पूजा करते समय पीले वस्त्र पहनें। पूजा के दौरान देवी को पीला चंदन लगाएं। कुमकुम, मौली, अक्षत का सुझाव दें। अब एक पान के पत्ते में थोड़ा सा केसर लें और ॐ बृं बृहस्पत नम: मंत्र का जाप करते हुए देवी को अर्पित करें। अब ॐ कुष्माण्डायै नमः मंत्र की माला का जाप करें और दुर्गा सप्तशती या फिर सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें। खासकर अविवाहित स्त्रियां जरूर करें इससे उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होगी।
मां कूष्मांडा को मालपुए का भोग अति प्रिय है। इससे बुद्धि, यश में वृद्धि और निर्णय लेने की क्षमता में बढ़ोत्तरी होगी। इसके साथ ही मां कूष्मांडा को पीला रंग अति प्रिय है। इस दिन देवी को पूजा में पीले रंग के वस्त्र, पीली चूड़ी, पीली मिठाई अर्पित करें। साथ ही वी कूष्मांडा को पीला कमल बहुत पसंद है। मान्यता ये भी है कि इसे देवी को अर्पित करने पर साधक को अच्छे स्वास्थ का आशीर्वाद मिलता है।
Also Read: Ayodhya: गोली मारने वाले को दूंगा 25 करोड़, सपा नेता पर भड़के जगतगुरु परमहंस….