Mehbooba Mufti Shivling Worship: जम्मू-कश्मीर की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने 2 दिन पहले यानी मंगलवार को पुंछ के नवग्रह मंदिर में शिवलिंग पर जलाभिषेक किया। जिसको लेकर अब कई मुस्लिम संस्था और धर्म गुरू उनके विरोध में आ गए हैं। उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) के अलीगढ़(Aligarh) में भी थियोलॉजी विभाग के पूर्व चेयरमैन व मुस्लिम धर्मगुरु प्रोफेसर मुफ्ती जाहिद अली खान(Muslim cleric Professor Mufti Zahid Ali Khan) ने कहा कि खुदा के अलावा जो किसी और की इबादत करता है या मूर्ति पूजा करता है उसे इस्लाम से खारिज मानिए। शिवलिंग पर जल चढ़ाना एक पूजा पद्धति होती है। जो पूजा करेगा वह इस्लाम से खारिज होगा। उनको फिर से इस्लाम में वापस आने के लिए दोबारा कई काम करने होंगे।
प्रोफेसर मुफ्ती ने कहा कि महबूबा मुफ्ती ने इस्लाम की तालीमात के खिलाफ काम किया है। इस्लाम सिर्फ अल्लाह की इबादत के अलावा ना तो मूर्ति पूजा की इजाजत देता है, ना कब्र को खुदा में शरीक मानकर उसकी इबादत करने की इजाजत देता है और ना ही शिवलिंग की इजाजत देता है। शिवलिंग पर जल चढ़ाना एक पूजा का हिस्सा है। वह पूजा है, इसी तरह तुलसी की इबादत करना, पीपल की इबादत करना, गाय की इबादत करना, या ऐसी किसी तस्वीर जिस की पूजा की जाती हो। रामचंद्र, सीता की या कृष्ण , अगर इनमें से किसी एक की पूजा करें या इबादत करें और वह शिवलिंग पर जल चढ़ाकर इबादत करें दोनों एक ही बात है । जो ऐसा करेगा वह इस्लाम की तालीमात के खिलाफ होगा। मुसलमानों के यहां पैदा होने से कोई मुसलमान नहीं होता और काफिर के घर या गैर मुस्लिम के घर पैदा होने से गैर मुस्लिम नहीं होता।
प्रोफेसर ने आगे अपने बयान में कहा कि हर हाल में उसे अल्लाह की इबादत एक की करनी है। उसमें ब्रह्म साहब की कलम को सजदा करेगा तो वह भी काफिर है। अगर अजमेर या निजामुद्दीन को भी करेगा तो भी काफिर है। एक अल्लाह के अलावा जिसकी भी करेगा वह काफिर हो जाता है। जाहिर है कि जो इस्लाम की तालीमात के खिलाफ एक अल्लाह की पूजा तो वो इस्लाम से खारिज हो गया इंसान और सारे हर काम लगेंगे। दोबारा कलमा पढ़कर ईमान लाना जरूरी है उनके लिए। इस्लाम में दाखिल होने के लिए उनको दोबारा कलमा ए तैयबन पढ़ना होगा, कलमा ए शादत पढ़ना होगा, एक अल्लाह को मानना होगा और नवियों के सिलसिले को जो वह मानती रही हैं। जो मरने के बाद हिसाब किताब, तो उन्हें सब ठीक करना पड़ेगा ।
वहीं उन्होंने कहा कि इस्लाम में इस तरह की चीजें हराम है और इस्लाम से खारिज है। इस्लाम में दाखिल ही नहीं रह सकता वो इंसान जो कब्र को खुदा के अंदर शरीक माने,या बुत को माने या शिवलिंग को माने या किसी और चीज को माने। जाहिर है इसके अलावा ओर क्या बात है. इस्लाम का उसूल थोड़ी बदलता है। मुफ्ती होने से मुसलमान नहीं होता, इस्लाम के मुताबिक अकीदा रखने पर मुसलमान होता है। कोई पैदाइशी मुसलमान नहीं होता। बालिग होने के बाद अल्लाह पर ईमान लाना और तमाम नवियों पर ईमान लाना। हिंदुस्तान में नवी भी है, हमारे बुजुर्ग कहते हैं कि रामचंद्र और कृष्ण भी नबी थे और शिवजी भी नबी थे।
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