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Navratri Special: नवरात्री की नवमी पर ऐसे करें सिद्धिदात्री की आराधना, मार्कण्डेय पुराण के अनुसार जानिए आज क्या है खास

• LAST UPDATED : March 30, 2023

(Worship Siddhidatri like this on Navami of Navratri): नवरात्री (Navratri Special) में माँ शक्ति के नौ रूपों की आराधना की जाती है। नवमी के दिन सकल सिद्धि को प्रदान करने वाली माँ की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जाती हैं।

  • मार्कण्डेय पुराण के अनुसार क्या है खास
  • जानिए हिन्दू धर्म में कौन सी आठ सिद्धियां बताई गई
  • तृष्णाओं व वासनाओं पर करे नियंत्रित
  • आचार्य राजन मिश्र के अनुसार

मार्कण्डेय पुराण के अनुसार क्या है खास

मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व आठ प्रकार की सिद्धियां हैं। भक्त की भक्ति से प्रसन्न होकर माँ की कृपा जिसे मिल गयी वह सुख और समृद्धि का प्रतीक हो गया। माँ सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं।

इनकी आराधना के साथ ही नवरात्र व्रत का परायण होता है। मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। वे सिद्धिदात्री, सिंह वाहिनी, चतुर्भुजा तथा प्रसन्नवदना हैं। मार्कंडेय पुराण में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व एवं वशित्व- ये आठ सिद्धियां बतलाई गई हैं। इन सभी सिद्धियों को देने वाली सिद्धिदात्री मां हैं।

जानिए हिन्दू धर्म में कौन सी आठ सिद्धियां बतलाई गई

मां के दिव्य स्वरूप का ध्यान हमें अज्ञान, तमस, असंतोष आदि से निकालकर स्वाध्याय, उद्यम, उत्साह, क‌र्त्तव्यनिष्ठा की ओर ले जाता है और नैतिक व चारित्रिक रूप से सबल बनाता है। हमारी तृष्णाओं व वासनाओं को नियंत्रित करके हमारी अंतरात्मा को दिव्य पवित्रता से परिपूर्ण करते हुए हमें स्वयं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति देता है।

मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। वे सिद्धिदात्री, सिंह वाहिनी, चतुर्भुजा तथा प्रसन्नवदना हैं। मार्कंडेय पुराण में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व एवं वशित्व- ये आठ सिद्धियां बतलाई गई हैं।

तृष्णाओं व वासनाओं पर करे नियंत्रित

इन सभी सिद्धियों को देने वाली सिद्धिदात्री मां हैं। मां के दिव्य स्वरूप का ध्यान हमें अज्ञान, तमस, असंतोष आदि से निकालकर स्वाध्याय, उद्यम, उत्साह, क‌र्त्तव्यनिष्ठा की ओर ले जाता है और नैतिक व चारित्रिक रूप से सबल बनाता है। हमारी तृष्णाओं व वासनाओं को नियंत्रित करके हमारी अंतरात्मा को दिव्य पवित्रता से परिपूर्ण करते हुए हमें स्वयं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति देता है।

आचार्य राजन मिश्र के अनुसार

सिद्धपीठ में देश के कोने – कोने से आने वाले भक्त माँ का दर्शन पाने के लिए आतुर रहते हैं । तीन देवियों के त्रिकोण धाम में आने पर असीम शांति मिलती है, भक्तो की आस्था से प्रसन्न होकर उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर देती है । श्रद्धालु का कहना है कि त्रिकोण के दर्शन से 108 बार दुर्गा सप्तशती की पाठ करे।

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