India News(इंडिया न्यूज़),New Parliament House: जबसे सेन्ट्रल विस्टा यानि नए संसद भवन का कार्य शुरू हुआ तब से ही सरकार और विपक्ष की राजनीति भी जारी है। आज यानि 26 मई को प्रधानमंत्री के दूसरे कार्यकाल के 4 साल पूरे हो रहे हैं और मोदी सरकार के कुल 9 साल पूरे हो रहे हैं। 28 मई को होने वाले नए संसद के उद्घाटन समारोह को लेकर लगातार विवाद भी बढ़ता जा रहा है। 19 विपक्षी दलों ने बायकॉट का आह्वान किया है तो वहीं कुछ गैर एनडीए के दल उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे। एक तरफ 25 मई को सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई की प्रधानमंत्री की बजाय राष्ट्रपति को संसद की नई इमारत का उद्घाटन करना चाहिए। आज 26 मई को इसी याचिका पर सुनवाई होनी है।
कांग्रेस ने तो मांग तक रख दी है की इस नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री के हाथों के वजाय, राष्ट्रपति के हाथों होना चाहिए। कांग्रेस के राष्टीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तो यहां तक कह दिया कि लगता है चुनावी लाभ के लिए ही दलित और आदिवासी राष्ट्रपति बनाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील सीआर सुकिन ने दायर की है याचिका
सुप्रीम कोर्ट के वकील सीआर जया सुकिन ने यह जनहित याचिका दाखिल की है। इसमें कहा गया है कि उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को शामिल नहीं करके भारत सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है। ऐसा करके संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है।
बता दें कि 28 मई को दोपहर 12 बजे पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं। इस पर कांग्रेस के नेताओं के साथ ही कई और विपक्षी दलों का मानना है कि पीएम की बजाय राष्ट्रपति को उद्घाटन करना चाहिए। कांग्रेस का कहना है कि नए संसद भवन का उद्घाटन सिर्फ राष्ट्रपति के हाथों ही करवाना चाहिए। इसी बीच सूत्रों ने मंगलवार को बताया था कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ उद्घाटन के मौके पर बधाई संदेश जारी कर सकते हैं।