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Nidhivan: वृंदावन की वो जगह जहां आज भी आते हैं श्री कृष्णा, जानें निधिवन का रहस्य

• LAST UPDATED : December 6, 2023

India News(इंडिया न्यूज़),Nidhivan: वृंदावन को कृष्ण भगवान की धरती कहा जाता है और ये अपने आप में ही बेहद सुंदर है। इसके साथ ही यहां पर कई प्रकार के रहस्य भी छुपे हुए हैं। जिन्हें जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। ऐसा कहा जाता है कि आज भी वृंदावन में श्री कृष्ण भगवान की छवि देखने को मिलती है। कृष्ण के भक्त बड़ी संख्या में हर रोज वृंदावन आते हैं। वृंदावन का इतिहास जानकर आप भी काफी उत्सुक रहते होंगे, क्योंकि यहां पर श्री कृष्ण भगवान का बचपन बीता है।

इसके साथ ही श्री कृष्ण भगवान की बचपन की कई यादें आज भी यहां पर संजोय हुए हैं। आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से निधिवन के बारे में बताएंगे, जहां पर आज भी श्री कृष्ण भगवान गोपियों के साथ रासलीला करने आते हैं। कहा तो यह भी जाता है कि श्री कृष्ण भगवान रासलीला के बाद वहां पर विश्राम भी करते हैं, लेकिन श्री कृष्ण जी को कोई देख नहीं पता। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर के पट बंद होने के बाद भी वहां पर नाच गाने की आवाज सुनाई देती है। आज हम आपको इसी के बारे में विस्तार से बताएंगे-

शाम को सभी श्रद्धालुओं को कर दिया जाता है बाहर

निधवन मंदिर में शाम की आरती के बाद सभी श्रद्धालुओं को बाहर कर दिया जाता है और इसकी गर्भ गुफा में भगवान के लिए नीम की दातुन, पान का बीड़ा, लड्डू और श्रृंगार का सामान भगवान श्री कृष्ण के लिए रखा जाता है। यहां ये मान्यता है कि इस मंदिर को तानसेन के गुरु संत हरिदास ने अपने भजन से राधा कृष्ण युगल रूप को साक्षात प्रकट किया था।

चुपके से देखने पर हो जाती है मृत्यु (Nidhivan)

यहां कृष्ण और राधा बिहारी प्रतिदिन साक्षात प्रकट होते हैं। यहां कृष्ण और राधा बिहारी प्रतिदिन आते हैं। यहीं पर स्वामी जी की समाधि भी है। रात में यहां कोई नहीं रुकता है। ऐसा कहा जाता है कि जिसने भी इस रहस्य को देखना चाह उसकी दो से तीन दिन के अंदर मृत्यु हो गई। कहते हैं कि यदि किसी ने चुपके रासलीला देखने का प्रयास किया तो उसकी भी मृत्यु हो गई या वह पागल हो गया।

रात में लगा हुआ बिस्तर सुबह मिलता है अव्यवस्थित

यहां लोगों को कहना है कि मंदिर में भगवान श्री कृष्णा स्वयं रोज आते हैं और सायन करते हैं। उनके सोने के लिए मंदिर में पुजारी रोज पलंग लगते हैं लेकिन जब मंदिर खुलता है तो बिस्तर की हालत देखकर सभी अचंभित हो जाते हैं, क्योंकि वह उलझे हुए पड़े होते हैं। रोजाना मंदिर में मक्खन और मिश्री का भोग लगाया जाता है और वही भोग प्रसाद के रूप में भी दिया जाता है जो बच जाता है उसे वही रख दिया जाता है। सुबह के समय में माखन मिश्री पूरी तरह से साफ मिलता है।

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