India News(इंडिया न्यूज़),Ram Mandir: पूरा देश 22 जनवरी 2024 का इंतजार कर रही है। जब रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह होगा। रामभक्तों के लिए खुशखबरी आ रही हैं। राम लला की 2 मूर्तियाँ बनकर तैयार हो गई हैं। ये सभी राम भक्तों के लिए बेहद बड़ी खुशखबरी है जो लम्बे समय से राम जी की मूर्तियों को देखने का इंतजार कर रहे हैं।
इनमें से ज्योतिषाचार्य काशी पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ द्वारा चुना गया मुहूर्त सबसे सटीक माना गया है और उसी दिन रामलला की स्थापना की जाएगी। ऐसा माना जाता है कि यह शुभ क्षण केवल 84 सेकंड तक है, यानी 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक रहेगा।
दरअसल, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामलला की स्थापना के लिए कई तिथियों का चयन किया है। 17 से 25 जनवरी तक पांच तारीखें थीं, लेकिन ज्योतिषी पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने शुभ तारीख और समय चुना। विद्वान ज्योतिषियों के अनुसार 22 जनवरी को अनेक वर्ण त्रुटियों से रहित शुभ समय है। यह तारीख और ये मुहूर्त अग्निबाण मृत्युबाण,चोरवाण, रोगवान और नृपवाण से मुक्त है।
ऐसा माना जाता है कि भागवान की नगरी अयोध्या को सतयुग में वैवस्वत मनु ने बनवाया था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार इसी नगरी में भागवान राम का जन्म हुआ था। कई वर्षों तक अयोध्या में राम राज चला। इसके बाद ऐसा माना जाता है कि श्री राम ने खुद ही जल में समाधि ले ली। कई साल बीतने का बाद उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य इस धरती पर आखेट करने के लिए पहुंचे।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, उन्होंने पृथ्वी पर कुछ चमत्कारी घटना घटते देखी। फिर उन्होंने उस जगह के इतिहास के बारे में जाना और उस पर शोध किया। तब उन्हें यहां श्री राम की उपस्थिति के प्रमाण मिले। इसके बाद उन्होंने काले कसौटी पत्थरों का उपयोग करके 84 स्तंभों वाला एक मंदिर बनवाया। भगवान राम की आधिकारिक तौर पर पूजा कहाँ की गई थी?
बाद में कई राजा राज्यों के बीच आये और गये। भारत में मुगल शासन की शुरुआत 14वीं शताब्दी में हुई। 1525 में, मुगल सम्राट बाबर के एक कमांडर मीर बांकी ने राम जन्मभूमि पर प्राचीन मंदिर को नष्ट कर दिया और उसके स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण किया।
जिसके बाद अंग्रेजों के समय से ही राम जन्मभूमि विवाद चलता चला गया। कुछ ही दिनों में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होना है। राम मंदिर के लिए कुल 67 एकड़ जमीन दी गई है। जिसमें कुल 67 एकड़ जमीन दी गई है। इस जमीन के लिए 2 एकड़ हिस्से में भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है। पहले मंदिर के शिखर की ऊचाई 128 फीट तय हुई थी जो बाद में 161 फीट कर दी गई। 3 की जगह पर अब 5 गुंबद मंदिर होंगे और एक मुख्य शिखर होगा।
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