होम / Ram Mandir Inauguration: 1528 से चली आ रही लड़ाई का परिणाम है 22 जनवरी 2024, जाने संघर्ष से अब तक की पूरी कहानी

Ram Mandir Inauguration: 1528 से चली आ रही लड़ाई का परिणाम है 22 जनवरी 2024, जाने संघर्ष से अब तक की पूरी कहानी

• LAST UPDATED : December 13, 2023

India News(इंडिया न्यूज),Ram Mandir History: श्री राम जन्मभूमि के उद्घाटन की तारीख तय हो गई है। तो ऐसे नहीं यह जानना भी जरूरी है कि आखिर इस तारीख के लिए हमने क्या खाया और कितना खून बहाया है। कितनी लंबी लड़ाई लोगों ने लड़ी है। कितनी पीढ़ियां सिर्फ ये सोचते हुए गुजर गई की क्या वह कभी अपनी आंखों से राम मंदिर को देख भी पाएंगे। साल 1528 से चली आ रही लंबी लड़ाई कई शाहिद और कई पीढियां के संघर्ष के बाद 22 जनवरी 2024 का दिन संभव हो पाया है। जिस दिन श्री राम जन्मभूमि पर भगवान राम जी के प्राण प्रतिष्ठा होगा। ये पूरे देश के लिए अद्भुत घड़ी है।

चलिए जानते हैं हमने इस घड़ी के लिए क्या कुछ गंवाया है। हम यूं ही नहीं रामलाल का भव्य दिव्य मंदिर देखने को मिल रहा है। हमारी पीढ़ियां धन्य है क्योंकि हमने संघर्ष भी देखा है और अब श्री राम जी के मंदिर को आकर लेटे हुए भी अपने आंखों से देख पा रहे हैं।

इतना सहज नहीं था श्री राम जन्मभूमि बनने का रास्ता (Ram Mandir History)

श्री राम जन्मभूमि बनने का रास्ता इतना सहज नहीं था। साल 1528 से शुरू हुई इस्लामी आक्रांत बाबर के सेनापति अमीर बाकी ने अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थल पर मस्जिद का निर्माण करवाया। 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि पूरा जमीन रामलाल की है। मंदिर वहीं बनेगा।

भीड़ को सड़कों पर बैठने की नहीं थी अनुमति

लेकिन इस मोड़ तक पहुंचाने के क्रम में न जाने कितने राम भक्तों ने खुद को बलिदान कर लिया। कितनी बार अयोध्या की गोलियों के राम भक्तों के रक्त से लाल कर दिया गया। ऐसा ही एक तारीख 2 नवंबर 1990 का है। जब तत्कालीन आईजी संप सिंह ने अपने मत हाथों से कहा कि लखनऊ से साफ निर्देश है की भीड़ किसी भी कीमत पर सड़कों पर नहीं बैठेगी।

क्या हुआ था 2 नवंबर 1990 को?

2 नवंबर 1990 को सुबह 9:00 बजे थे। कार्तिक पूर्णिमा पर सूर्य में स्नान कर साधु और राम भक्त कर सेवा के लिए जन्मभूमि की ओर बढ़ रहे थे। पुलिस ने घेरा बनाकर उन्हें रोक लिया।

दौड़ा दौड़ा कर बनाया था राम भक्तों को निशाना

सभी जहां थे वहीं सत्याग्रह पर बैठ गया। रामधुनी में सभी रंग गए। फिर आईजी ने आर्डर दिया और सुरक्षा बल एक्शन में आ गए। आंसू गैस के गोले दागे गए लाठियां बरसाई गई लेकिन रामधन की आवाज बुलंद रही। राम भक्त ना उत्तेजित हुए, ना डरे और ना ही घबरा। अचानक बिना चेतावनी के उन पर फायरिंग भी शुरू कर दी गई। गोलियों में राम भक्तों को दौड़ा-दौड़ा का निशाना बनाया गया।

गोली लगने के बाद भी नहीं  टूटी राम भक्तों की आस्था (Ram Mandir History)

3 नवंबर 1990 को छपी एक रिपोर्ट में लिखा गया था कि राजस्थान के श्रीनगर का एक कर सेवक जिसका नाम पता नहीं चल पाया है गोली लगते ही गिर पड़ा और उसने अपने खून से सड़क पर लिखा सीताराम। पता नहीं है उसका नाम था या भगवान का स्मरण। मगर सड़क पर गिरने के बाद भी सीआरपीएफ की टुकड़ी ने उसके खोपड़ी पर साथ गोलियां मारी।

इस घटना का उसे समय की मीडिया रिपोर्टिंग के लिए गए विवरण को ध्यान से पढ़िए:

पुलिस और सुरक्षा बल ना खुद किसी भी घायल को उठा रहे थे और ना ही किसी दूसरे को उनकी मदद करने जाने दे रहे थे। फायरिंग का लिखित उद्देश्य नहीं था। फायरिंग के बाद जिला मजिस्ट्रेट से आर्डर पर साइन कराया गया। किसी भी राम भक्त के पैर में गोली नहीं मारी गई। सबके सर और सीने में गोली लगी। तुलसी चौराहा खून से रंग गया। दिगंबर अखाड़े के बाहर कोठारी बांधों को खींचकर गोली मारी गई। राम अचल गुप्ता का अखंड राम धुन बंद नहीं हो रहा था जिन्हें पीछे से गोली मारी गई। राम नदी दिगंबर अखाड़े में घुसकर साधुओं पर फायरिंग की गई। मंदिर के सामने भी पुजारी को गोली से भून दिया गया।

हर हर महादेव के जयकारे से गूंजी थी राम नगरी

बता दे की 30 अक्टूबर और 2 नवंबर 1990 को अयोध्या जय श्री राम और हर हर महादेव के जयकारे से गूंज गई था। इसी का परिणाम है कि 22 जनवरी 2024 को सुनिश्चित करेगा कि अयोध्या में बस राम का नाम हो। 2024 के इस 22 जनवरी का महत्व एक हिंदू ही जान सकता है।

ALSO READ:

Ramnagar News: रामनगर में बाघ से दहशत! डरे ग्रामीणों ने की ये मांग 

Ayodhya Ram Mandir: कौन हैं अयोध्या राम मंदिर के पुजारी मोहित पांडे? जानें यहां

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT
mail logo

Subscribe to receive the day's headlines from India News straight in your inbox