INDIA NEWS(इंडिया न्यूज़),दिल्ली: जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) और मेघालय के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) इन दिनों काफी सुर्खियों में हैं। लेकिन आज हम आपको उनके सियासी सफर के बारे में जानकारी देंगे। बता दें कि सत्यपाल मलिक का सियासी सफर देश में आपातकाल लगने से ठीक एक साल पहले यानी 1974 से शुरू हुआ था। तब उन्होंने उत्तर प्रदेश के बागपत विधानसभा (Baghpat Vidhan Sabha) सीट से पहली बार विधायक बनकर यूपी विधानसभा पहुंचे थे।सत्यपाल मलिक ने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत लोक दल (Lok Dal) से की थी।
इसके बाद ठीक 6 साल बाद सन् 1980 में सत्यपाल मलिक पहली बार लोक दल से ही राज्यसभा पहुंचे थे। लेकिन उन्होंने इसके बाद 1984 में कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया था। इसके बाद उन्हें कांग्रेस पार्टी ने राज्यसभा भेजा था। लेकिन 1987 में कांग्रेस पर लगे बोफोर्स घोटाले के बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद 1988 में पूर्व प्रधानमंत्री विश्व प्रताम सिंह के नेतृत्व वाले जनता दल में वो शामिल हो गए और 1989 में अलीगढ़ से लोकसभा का चुनाव जीता और सांसद बन गए।
1989 के चुनाव के बाद सत्यपाल मलिक कभी भी चुनाव नहीं जीत सके। 1996 में उन्होंने दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी के टिकट पर एक बार फिर से अलीगढ़ सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन इस बार उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। सपा के बाद वे 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री और स्वर्गीय अटल विहारी बाजपेयी के नेतृत्व वाली बीजेपी का दामन थाम लिया। हालांकि उन्हें 2004 में फिर बागपत से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इसके बाद भी बीजेपी में उनका कद समय के साथ बढ़ता ही गया। 2012 में उन्हें बीजेपी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया था।
सत्यपाल मलिक को 2017 में बिहार का राज्यपाल बनाया गया। बिहार के बाद उन्हें 2018 में राज्यपाल के रूप में जम्मू कश्मीर की जिम्मेदारी मिली। जब अनुच्छेद जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाया गया तो वहां पर सत्यपाल मलिक ही राज्यपाल थे। इसके बाद उन्हें 2019 में गोवा का राज्यपाल बनाया गया। हालांकि इसके बाद उन्हें 2020 में मेघालय का राज्यपाल बना दिया गया। लेकिन इसके बाद उन्होंने अपनी ही पार्टी के खिलाफबयानबाजी शुरू कर दी। अब एक बार सीबीआई से पूछताछ के लिए समन मिलने के बाद से सत्यपाल मलिक फिर से चर्चा में आ गए हैं।