India News UP (इंडिया न्यूज़),Shiv Puran: शिव महापुराण हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पुराण है, ये शैव मत संप्रदाय से संबंधित है। इस महापुराण में भगवान शिव के बारे में वास्तु पूर्वक वर्णन किया गया है, जिसमें शिवा भगवान के स्वरूप, अवतार ज्योतिर्लिंग आदि के बारे में दिया गया है। हिंदू धर्म में शिव पुराण की कथा सुना या इसका पाठ करना बेहद ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। मानता है इसका पाठ करने या सुनने से इंसान को शिवलोक की प्राप्ति होती है।
शिव पुराण में भगवान शिव और माता पार्वती के साथ-साथ पौराणिक और धार्मिक कथाएँ भी वर्णित हैं। शिव पुराण बताता है कि भगवान विष्णु को तुलसी कितनी प्रिय थी। इसमें तुलसी, धात्री और मालती के निर्माण की कहानी भी बताई गई है। चलिए जानते है इसके बारे में-
शिव पुराण के अनुसार जलंधर को मारने के बाद संसार में शांति छा गई और सभी देवता प्रसन्न होकर भगवान शिव के सामने नतमस्तक होकर स्तुति करने लगे। इसके बाद देवताओं ने भगवान शिव को भगवान विष्णु की स्थिति के बारे में बताया और कहा कि भगवान विष्णु ने वृंदा को बंदी बना लिया है, लेकिन वह काम से पीड़ित हैं और इसलिए उनकी समाधि की राख ले जा रहे हैं।
देवताओं की बात सुनकर भगवान शिव ने कहा, समस्त लोकों को मोहित करने वाली माया पर कोई विजय नहीं पा सकता। भगवान विष्णु की मोह को तोड़ने के लिए तुम्हें शिव नामक माया के पास जाना चाहिए, वह मेरी शक्ति है। भगवान शिव से अनुमति मिलने के बाद सभी देवता भक्तों को सुख प्रदान करने वाली शक्ति की पूजा करने लगे। इसके बाद आकाश में एक आवाज सुनाई दी। देवी ने कहा, मैं तीन प्रकार के गुणों के माध्यम से तीन अलग-अलग रूपों (गौरी रजोगुण, लक्ष्मी सत्वगुण और तमोगुण) में हूं।
देवताओं ने देवी का अभिनंदन और स्तुति करने लगे, तब तीनों देवियाँ प्रसन्न हो गईं और चारों ओर प्रकाश हो गया। उन्होंने देवताओं को अपने बीज देते हुए कहा कि इन बीजों को उस स्थान के नीचे रखा जाए जहां भगवान विष्णु स्थित हैं। देवताओं ने वृंदा की चिता के भूतल के नीचे बीज बोये।
इन बीजों से धात्री, मालती और तुलसी के पौधे उत्पन्न हुए। जब भगवान विष्णु ने इन स्त्री रूपी पौधों को देखा तो उनकी मोह भंग हो गई। लक्ष्मी के अंश से उत्पन्न मालती पृथ्वी पर बर्बरी नाम से प्रसिद्ध हुई। और धात्री और तुलसी को भगवान विष्णु को प्रिय हुई। इससे निराश होकर विष्णु जी बैकुंठ धाम चले गये।
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