Strike of Electricity Workers in UP: उत्तर प्रदेश में अपनी पुरानी मांगों को लेकर बिजली कर्मचारी 72 घण्टे के सांकेतिक हड़ताल पर बैठ गए हैं। बिजली कर्मचारियों का आरोप है कि ऊर्जा मंत्री 4 महीने पहले किए गए वादे से मुकर गए हैं। हालांकि हड़ताल के बाद ऊर्जा मंत्री ने सरकार का रुख साफ करते हुए कहा कि अगर हड़ताल के दौरान विभाग को कोई क्षति होती है या फिर जनता की सेवा में कमी आती है तो ऐसे में एस्मा के तहत कार्यवाही की जाएगी। सरकार के कड़े रुख के बाद भी बिजली कर्मचारी हड़ताल पर डटे हुए हैं। समाजवादी पार्टी लगातार इस मुद्दे पर हमलावर है।
हड़ताल पर बैठे अधिकारियों ने सरकार की पॉलिसी पर सवाल खड़ा करते हुए बताया कि चेयरमैन और एमडी के चयन की एक प्रक्रिया होती है लेकिन इस सरकार में चयन प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए नए नए लोगों को चयनित कर दिया जाता है और फिर उनके द्वारा नए नए फरमान दे दिए जाते हैं। जिससे पूरा सिस्टम खराब हो जाता है। वहीं दूसरी तरफ़ विभाग के शीर्ष अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग के बड़े अधिकारी ही सरकार को गुमराह करते हैं। यही कारण है कि 4 महीने पहले हुए वादे से ऊर्जा मंत्री मुकर गए जो कि बहुत ही गलत है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने हड़ताल पर हैं। गुरुवार रात से पूरे राज्य में कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। कर्मचारियों ने कहा है कि अगर हमारे किसी कर्मचारी पर एक्शन लिया गया तो वे अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे। वहीं, ऊर्जा मंत्री शर्मा ने अपने बयान में कहा कि अत्यावश्यक सेवाओं में शामिल विद्युत व्यवस्था में किसी भी प्रकार का व्यवधान डालने पर एस्मा के तहत एक्शन लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास में रुकावट पैदा करनेवाले और लोगों की सुविधाओं में अड़चनें पैदा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी। आंदोलन करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि जो समझौता हुआ था। उसे लागू भी करना चाहिए। अगर समझौते का पालन नहीं होगा तो प्रश्नचिन्ह खड़ा होगा। हमारी नाराजगी किसी से भी नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि एक लाख कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगे देश के 27 लाख कर्मियों के संगठन भी हमारे समर्थन में आए हैं। पावर कॉरपोरेशन के व्यवहार के कारण हम हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर हुए। हम किसी से भी बात करने को तैयार हैं।